India vs Pakistan WW3: "क्या तीसरा विश्व युद्ध भारत-पाकिस्तान से शुरू हो सकता है? जानिए सबसे बड़ा खतरा और शांति का रास्ता"

 India vs Pakistan WW3: "क्या तीसरा विश्व युद्ध भारत-पाकिस्तान से शुरू हो सकता है? जानिए सबसे बड़ा खतरा और शांति का रास्ता"



इंडिया और पाकिस्तान के बीच में टेंशन फिलहाल उस पॉइंट पर पहुंच गई है जहां पर एक गलती हिस्ट्री चेंज कर सकती है। कोई एक मिसफायर दो देशों की एक इलाके की लड़ाई से बढ़कर फुल फ्लेजेड वॉर या फिर वर्ल्ड वॉर में तब्दील हो सकता है। क्या वर्ल्ड वॉर 3 की चिंगारियां हवा में तैरने लगी हैं?

भारत और पाकिस्तान का हर कदम अब केवल दो देशों की किस्मत को नहीं तय करेगा बल्कि यह दुनिया की दशा-दिशा को भी तय कर सकता है। और जिस तरह ये बढ़ रहा है, क्या वर्ल्ड वॉर हो जाएगा? क्योंकि अगर वर्ल्ड वॉर हुई तो फिर पूरे विश्व को युद्ध खत्म कर देगा।

इतिहास गवाह है कि कई बार युद्ध एक छोटी सी गलती से शुरू हुए और फिर दुनिया बर्बाद हो गई। वियतनाम का युद्ध एक गोलीबारी से शुरू हुआ था, क्यूबा मिसाइल संकट अविश्वास से पनपा था, कोसोवो का नरसंहार असंवेदनशील सियासत से हुआ था। लेकिन भारत और पाकिस्तान जो पहलगाम से शुरू हुए थे, ऑपरेशन सिंदूर से आगे बढ़े, अब एक दूसरे के शहरों पर जब लगातार ड्रोन और मिसाइल से हमले कर रहे हैं और जो परमाणु शक्तियों से लैस हैं, क्या वो दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में धकेल रहे हैं?

देखिए, अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें यह युद्ध फैसिनेट कर रहा है, तो आपको बता दें कि युद्ध शुरू करना आसान है, रोकना नहीं। युद्ध का मजा सिर्फ उसे आता है जो दूर से देखता है। जो इसका हिस्सा बना है वो कभी युद्ध नहीं चाहता — ना वो सैनिक जो इसमें लड़ रहे हैं, ना उन सैनिक के परिवार वाले, ना वो जिन्होंने कभी इस युद्ध के दंश को सहा या करीब से देखा है।

भारत और पाकिस्तान जो परमाणु शक्ति से लैस हैं — अगर उनके बीच में फुल फ्लेजेड वॉर हुई तो मानवता के पास दूसरा मौका नहीं बचेगा। यकीन मानिए, भारत और पाकिस्तान के बीच फुल फ्लेजेड वॉर हुई और अगर यह वर्ल्ड वॉर थ्री में तब्दील हुई, तो फिर क्या परिस्थिति होगी?

आपको बता दें कि फिर मंजर वो होगा जो सुनकर भी शायद आपको डरा दे। वर्ल्ड वॉर वन और वर्ल्ड वॉर टू से कहीं ज्यादा मौतें होंगी। वर्ल्ड वॉर वन में 1 करोड़ 60 लाख लोगों की जान गई थी, अनगिनत बीमारियों में फंसे रहे। वर्ल्ड वॉर टू जब आया तो इसमें मौतों की संख्या और ज्यादा बढ़ गई — 8 करोड़ के आसपास मौतें हुईं, जिसमें हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम भी शामिल था। हिरोशिमा में 70 हजार लोग और नागासाकी में 40 हजार लोग एक सेकंड में राख हो गए।

लेकिन अगर इंडिया और पाकिस्तान फुल फ्लेजेड वॉर करते हैं, परमाणु वॉर करते हैं, तो फिर कहानी बिल्कुल अलग होगी। अगर ये दोनों देश अपने 50-50% हथियारों का भी इस्तेमाल करते हैं तो यह मान के चलिए 10 से 20 करोड़ लोग पहले घंटे में मर सकते हैं। उसकी वजह है — चाहे दिल्ली हो या कराची, इनकी आबादी घनी है। दिल्ली में 2.5 करोड़ से अधिक लोग हैं, कराची में 2 करोड़ से अधिक लोग हैं।

आधुनिक हथियार इनके पास हैं जो 15 से लेकर 300 किलो टन की शक्ति रखते हैं। हिरोशिमा में 15 किलो टन का इस्तेमाल किया गया था और अब 300 किलो टन तक के हथियार हैं। आप सोचिए कितने गुना हैं। अब अगर हथियारों की ताकत बड़ी है तो तबाही का मंजर भी तो बड़ा होगा।


अगर 100 किलो टन का मान लीजिए बम कराची या फिर दिल्ली पर गिर जाता है, तो यकीन मानिए 5 से 10 किलोमीटर तक सब कुछ मलबे में तब्दील हो जाएगा। 20 किलोमीटर तक लोग जलकर राख हो जाएंगे। 30 किलोमीटर तक इमारतें पूरी तरह से ढह जाएंगी। लाखों मौतें मिनटों में हो जाएंगी। करोड़ों ऐसे हैं जिनको इलाज नहीं मिलेगा। रेडिएशन का असर अलग आएगा — कैंसर, अपंगता और आगे आने वाली पीढ़ियों में बीमारियां जो इंसान की नस्लों को बर्बाद कर सकती हैं।

अब अगर आपको लगता है कि दोनों देश समझदार हैं, वो वर्ल्ड वॉर जैसी या परमाणु वॉर जैसी सिचुएशन नहीं आने देंगे, तो आपको यह समझना पड़ेगा कि एक गलती वर्ल्ड वॉर शुरू कर सकती है। एक गलती। कोई भी युद्ध जानबूझकर शुरू नहीं करता, हालात बनते चले जाते हैं।

एक मिसफायर — आज भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की तपती रेत पर एक ऐसी गलती, एक मिसाइल का गलत निशाना, एक साइबर हमला, एक आतंकी साजिश या खुफ़िया जानकारी की चूक — ना केवल दोनों देशों को, बल्कि पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की भट्टी में झोंक सकती है।

ये दोनों देश ऐसे हैं जो परमाणु हथियारों से लैस हैं। गलतफहमी को सुधारने का वक्त शायद चंद मिनट भी ना मिले। उदाहरण के तौर पर, एलओसी पर तनाव के दौरान एक मिसाइल अगर गलत निशाना साध लेती है तो दुनिया बदल सकती है। ऐसा पहले भी हुआ है — तकनीकी खराबी के चलते मिसाइलें इधर-उधर गिरी हैं। उस वक्त बातचीत का दरवाजा खुला था, युद्ध नहीं चल रहा था, जैसे-तैसे स्थिति संभाल ली गई।

लेकिन आप कल्पना कीजिए कि दोनों देशों की तरफ से कोई एक मिसाइल किसी एक देश के रिहायशी इलाके में गिर जाए — अगला देश क्या करेगा? वो पलटवार करेगा, उससे बड़ा। उसके बाद अगला बढ़ावा। शायद इसी आवेश में कोई परमाणु शक्ति का इस्तेमाल कर ले। ये खतरनाक हो सकता है।

अगर भारत की अग्नि-5, जो 5000 कि.मी. रेंज की है, या पाकिस्तान की शाहीन-3, जो 2700 कि.मी. रेंज की है, गलती से इधर-उधर चली जाती है, तो दूसरा हमला करेगा। आज भारत नो-फर्स्ट यूज़ पॉलिसी का पालन करता है, लेकिन अगर गलतफहमी इस लेवल पर जाती है, तो शायद जवाब खतरनाक होगा।

मिसाइलें हवा में होंगी — दिल्ली, मुंबई, कराची, इस्लामाबाद जैसे शहर मिनटों में मलबे में तब्दील हो सकते हैं। मौजूदा दौर में अगर कहीं कोई आतंकवाद हो जाता है तो यह भी विश्व युद्ध की तरफ धकेल सकता है।

2008 में मुंबई हमलों ने भारत को हिलाया था। 2019 के पुलवामा हमले ने बालाकोट हवाई हमले को जन्म दिया था। पहलगाम में जो कुछ हुआ उसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चला दिया। आप कल्पना कीजिए कि अगर कहीं कोई आतंकवादी हमला होता है, तो उसका जवाब भारत सीधे-सीधे पाकिस्तान की साजिश मानेगा। जवाबी कार्रवाई होगी। सच्चाई कुछ भी हो, वो युद्ध के बीच में दब जाएगी — और उसके बाद दुनिया विश्व युद्ध की आग में जा सकती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच संयुक्त रूप से सैकड़ों हथियार हैं। भारत के पास अनुमानित 180 परमाणु हथियार हैं, पाकिस्तान के पास भी 170 के आसपास हैं। और दोनों की मिसाइलें — चाहे भारत की अग्नि हो या पाकिस्तान की गजनवी — मिनटों में एक दूसरे के शहरों को तबाह कर सकती हैं।

राख कर सकती है यकीन मानिए दिल्ली से इस्लामाबाद, कराची से लेकर मुंबई तक अगर ये मिसाइलें चलती हैं, तो कोई नहीं बचेगा। सबसे डरावनी बात यह है कि ये दोनों देश इमोशनली ड्रिवन हैं, भावनाओं का ज्वार चरम पर है। दोनों देशों के बीच संचार के चैनल बहुत कमजोर हैं और तनाव के समय ये कितने कारगर होंगे, इसकी कल्पना हम और आप कर सकते हैं।

2019 में बालाकोट हमले के बाद दोनों देशों के बीच संवाद लगभग टूट गया था। अगर कोई मिसाइल गलती से इधर-उधर गई तो गलतफहमी दूर करने के लिए शायद 10 मिनट भी ना मिलें। और परमाणु युद्ध में 10 मिनट क्या होता है, वो आप कल्पना भी नहीं कर सकते। यह ऐसा युद्ध होता है जिसमें 10 सेकंड में दुनिया का नक्शा बदल सकता है।

अगर विश्व युद्ध होता है तो कौन किस तरफ जाएगा? क्या गठबंधन बन सकता है? भारत के पास अमेरिका का, नाटो का साथ हो सकता है जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देश आ सकते हैं। इजराइल भारत का पक्का दोस्त है। जापान और ऑस्ट्रेलिया भी साथ आ सकते हैं। भारत की रणनीतिक स्थिति और आर्थिक ताकत मजबूत होगी।

पाकिस्तान को चीन, उत्तर कोरिया, तुर्की, ईरान और कुछ इस्लामिक देशों का साथ मिल सकता है। कुछ देश जैसे दक्षिण अफ्रीका और अमेरिकी देश दोनों साइड रह सकते हैं। रूस पाकिस्तान के साथ थोड़ा क्लोज हुआ है, लेकिन भारत के साथ दशकों पुराने रिश्ते हैं, ऐसे में रूस भी भारत की तरफ रह सकता है।

अब सवाल है कि यह विश्व युद्ध कैसे शुरू हो सकता है? फर्स्ट वर्ल्ड वॉर और सेकंड वर्ल्ड वॉर की शुरुआत भी छोटी चिंगारियों से हुई थी। फर्स्ट वर्ल्ड वॉर ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्क ड्यूक की हत्या से शुरू हुआ और करोड़ों लोग मारे गए। सेकंड वर्ल्ड वॉर हिटलर के विस्तारवादी नीति से शुरू हुआ — पोलैंड पर हमला हुआ और युद्ध फैल गया। सात से आठ करोड़ लोगों की मौत हुई।

भारत और पाकिस्तान के मामले में भी एक छोटी सी गलती इस दिशा में ले जा सकती है। लेकिन इस युद्ध को रोका जा सकता है। कैसे?

पहला उपाय — कूटनीति। संयुक्त राष्ट्र और तटस्थ देशों की मध्यस्थता की ज़रूरत होगी। कूटनीति युद्ध रोकने का सबसे पुराना और प्रभावी तरीका है। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भी भूमिका निभाई थी। भारत और पाकिस्तान के कमजोर संवाद के बीच दुनिया के बड़े देश दखल देकर संवाद करवा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र भी पहले युद्ध रोक चुका है — जैसे 1965 में ताशकंद समझौता और 1971 में शिमला समझौता।

हालांकि इसमें भी चुनौती है, क्योंकि यूएन में अमेरिका, चीन, रूस जैसे स्थायी सदस्य अपने-अपने हित देखेंगे। चीन पाकिस्तान का साथ देगा, अमेरिका भारत की तरफ रहेगा। ऐसे में निष्पक्षता मुश्किल हो सकती है। फिर भी वैश्विक दबाव एक हथियार हो सकता है।

दूसरा उपाय — आर्थिक दबाव। पाकिस्तान आर्थिक रूप से कमजोर है। अगर फंडिंग बंद हो जाए, ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाए या आतंकवाद पर कार्रवाई हो, तो पाकिस्तान पर प्रभाव पड़ सकता है।

तीसरा उपाय — जन आंदोलन। अगर भारत-पाकिस्तान की जनता सड़कों पर शांति की मांग करे, तो असर हो सकता है। हालांकि इसके चांस बहुत कम हैं क्योंकि दोनों देशों के लोग देशभक्ति में डूबे हुए हैं और युद्ध के लिए तैयार रहते हैं। फिर भी कुछ लोग आवाज़ उठा रहे हैं — जैसे भारत में अंबाती रायडू ने कहा कि "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना सकती है"। जिन लोगों ने युद्ध नहीं देखा, वही युद्ध चाहते हैं।

चौथा उपाय — सैन्य संयम। अगर युद्ध हो भी रहा है तो रिहाइशी इलाकों से बचा जाए, मासूम लोगों को निशाना न बनाया जाए। युद्ध केवल सेना तक सीमित रहे। क्योंकि अगर नागरिक निशाना बने तो यह विश्व युद्ध की चिंगारी बन सकती है।

अंत में सबसे जरूरी सवाल: क्या हम राख से पहले शांति को चुन सकते हैं? भारत और पाकिस्तान एक ऐसे मोड़ पर हैं जहां से लौटना मुश्किल है। इतिहास ने बार-बार सिखाया है कि युद्ध सिर्फ सरकारें नहीं, सभ्यताएं हारती हैं। वर्ल्ड वॉर वन एक गोली से और वर्ल्ड वॉर टू एक तानाशाह की लालच से शुरू हुआ था — करोड़ों की जान ली।

अब वर्ल्ड वॉर थ्री की आशंका है। भारत-पाकिस्तान के बीच अगर एक मिसाइल भी इधर-उधर हुई, तो पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ सकती है। परमाणु शक्ति कोई ढाल नहीं — यह मानवता की रेत पर खड़ा विस्फोटक है।

दिल्ली, कराची, लाहौर, मुंबई जैसे शहर मिट्टी में मिल सकते हैं। रेडिएशन की खामोशी आने वाली पीढ़ियों तक सुनाई देगी। हां, यह युद्ध रोका जा सकता है — अगर संवाद हो, संयम हो, समझदारी हो, और कूटनीति का सहारा लिया जाए।


भारत और पाकिस्तान को समझना होगा कि दुश्मन एक-दूसरे के भीतर नहीं, बल्कि कट्टर सोच और अविश्वास में है। अगर पाकिस्तान आतंकवाद खत्म करे, तो भारत शांति समझौता कर सकता है।

अगर अब भी गलती हुई — तो इस बार कोई गुंजाइश नहीं बचेगी। कोई विजेता नहीं बचेगा। बचेगी तो बस राख।

हमें तय करना है — क्या हम इतिहास बना सकते हैं, या खून की स्याही से इतिहास के पन्ने रंगेंगे?

फैसला भारत और पाकिस्तान की जनता और सरकारों को करना है।
जय हिंद, जय भारत।


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