Operation Agyaat terrorist Keller: पाकिस्तान में अज्ञात लोग वहां के आतंकी को ढूंढ कर मार रहे हैं, Kashmir Pakistan India newsnumber1
पहले ऑपरेशन सिंदूर, फिर ऑपरेशन किलर, और अब ऑपरेशन अज्ञात – पाकिस्तान की गलियों में आतंकवादियों की लाशें बिछ रही हैं। उनकी झूठी जीत के नारे अब कब्रिस्तान के सन्नाटे में दफन हो रहे हैं। कंगाली की कगार पर खड़ा पाकिस्तान, जो कभी कश्मीर फतेह करने के ख्वाब देख रहा था और मोटरसाइकिल पर घूमने वाले शाहिद अफरीदी को विजय योद्धा का सर्टिफिकेट बांट रहा था, अब उसी की सरजमीं पर उसी के खूंखार आतंकवादी अपनी आखिरी सांसें गिन रहे हैं। सालों से जो काम दुनिया की अदालतें नहीं कर पाईं, वो अब अज्ञात बंदूकधारी कर रहे हैं।
क्या आपको लगता है युद्ध खत्म हो गया? अगर ऐसा लग रहा था तो जमीन पर पड़े इस आतंकवादी को देखिए। आतंकी सैफुल्लाह खालिद की रूह से पूछिए, वो चीख-चीख कर कहेगी - युद्ध जारी है!
ऑपरेशन सिंदूर का संदेश
जब भारत की सेना ने ऑपरेशन सिंदूर का बिगुल बजाया था, तो उसका मकसद सिर्फ आतंकवादियों का सफाया नहीं था, बल्कि दुनिया को यह संदेश देना था कि चाहे तुम लाहौर में छिपे हो या कराची में, रावलपिंडी में हो या फैसलाबाद, इस्लामाबाद या भाग के चले गए हो नेपाल - हिंदुस्तान की तलवार आतंकी गर्दन तक पहुंचेगी। सैफुल्लाह खालिद, जिसे आईएसआई ने पाला, पाकिस्तान ने छिपाया, नेपाल में पनाह मिली, आज जहन्नुम की आग में जल रहा है। यह भारत का शौर्य है, भारत का संकल्प है जो अब आतंकवादियों के सीने में खौफ पैदा कर रहा है कि कहां तक भागोगे बेटा? कुछ को सेना मारेगी, हमारे घर में आओगे वहां मारे जाओगे, और बाहर जाओगे तो कोई 'अज्ञात' आएगा। 72 हूरें, हां सीधे वहीं भेजा गया है सैफुल्लाह खालिद को।
कौन था सैफुल्लाह खालिद?
अब सवाल होगा कि सैफुल्लाह खालिद कौन है जिसे कुत्ते की मौत मार दिया गया? हम चाहते हैं कि आप भी हमारी एक मदद करें। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें, लिंक हमने डिस्क्रिप्शन में और कमेंट सेक्शन में पिन कर रखा है। आप जुड़ेंगे तो इससे हमारी ताकत बढ़ेगी और आप तक जल्दी हमारे वीडियोस पहुंचेंगे।
सैफुल्लाह खालिद के कई चेहरे थे। कोई इसे रजाउल्लाह निजामनी कहता था, कोई इसे विनोद कुमार के तौर पर जानता था। इसका नाम मोहम्मद सलीम भी था। यह लश्कर-ए-तैयबा का वो सांप था जिसने हिंदुस्तान की जमीन पर कई बार जहर फैलाया था। यह कोई छुटभैया आतंकी नहीं था, आतंकी पूरी मशीनरी का मास्टरमाइंड था। आईएसआई का यह पिट्ठू भारत को बहुत परेशान कर चुका है। नेपाल में इसने आतंक का गढ़ बनाया था। 2000 के दशक में सैफुल्लाह नेपाल गया, वहीं पर गढ़ बनाया और लश्कर के लिए आतंकवादियों की भर्ती शुरू कर दी। हथियारों की तस्करी, भारत में तमाम साजिशें रचीं। नेपाल की शांत वादियों में शैतान हिंदुस्तान के खिलाफ जहर उगल रहा था।
भारत पर इस आतंकवादी ने तीन बड़े हमले किए थे:
- साल 2005 में बेंगलुरु में आईआईएससी पर हमला: भारतीय विज्ञान संस्थान पर इस हमले में प्रोफेसर मुनीश चंद्र पुरी की जान गई थी और चार लोग घायल हुए थे। यह हमला भारत की वैज्ञानिक प्रगति को कुचलने की साजिश थी।
- साल 2006 में नागपुर आरएसएस मुख्यालय पर हमला: आरएसएस मुख्यालय पर हमले की साजिश सैफुल्लाह ने रची थी और इसका मतलब था देश में सांप्रदायिक आग को भड़काना। हालांकि उस वक्त सुरक्षा बलों की सतर्कता से यह बड़ा नुकसान टल गया था, लेकिन यह बहुत बड़ी घटना थी।
- 2008 में रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमला: रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर इस हमले में सात जवान शहीद हुए थे, एक नागरिक की जान गई थी। यह हमला भी भारत के सुरक्षा बलों को कमजोर करने की नापाक कोशिश थी।
ये आतंकवादी सैफुल्लाह लश्कर के सरगना हाफिज सईद और अबू अनस का करीबी था। आईएसआई के इशारों पर हिंदुस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता था। पाकिस्तान सरकार ने इसे पूरी सुरक्षा मुहैया कराई थी, लेकिन अब यह 72 हूरों के पास पहुंच गया है।
सैफुल्लाह खालिद का अंत और 'अज्ञात' का संदेश
सैफुल्लाह लश्कर की रीढ़ था, भारत ने उस रीढ़ को तोड़ा है। आतंकी अब एक कहानी बन गया - एक कहानी जो आतंकवादियों को सबक दे रही है। 18 मार्च 2025 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत, बदीन जिला, मतली फलकारा चौक – यही वो दिन, वो जगह थी जहां पर इस आतंकवादी को कुत्ते की मौत मारी गई। सैफुल्लाह खालिद अपने घर से निकला, वो सोच रहा था कि पाकिस्तान में क्या टेंशन, अब तो युद्ध भी खत्म हो गया। हिंदुस्तान की जो मिसाइल आई थी वो जैश मोहम्मद को ठोक रही थी, मसूद के आगे पीछे जा रही थी, हाफिज के ठिकानों को ढूंढ रही थी। छोटे-छोटे जो आतंकी थे वो तो बचे थे और अब यह खुद खत्म हो गया।
अज्ञात बंदूकधारियों ने इस पर गोली की बौछार की। एक के बाद एक गोली ऐसे चल रही थी जैसे मानो अज्ञात बंदूकधारी जो हैं वो भारत के शहीद जवानों की जान का बदला ले रहे हों। यह जमीन पर गिरा, तड़पता रहा, वीडियो भी आया। दुनिया ने भी देखा, आतंकवादियों ने भी देखा कि कैसे तड़पते-तड़पते, तड़पते-तड़पते यहां से वहां पहुंच गया। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने बड़ी कोशिश की थी सुरक्षा देने की, लेकिन वो सुरक्षा ढेर हो गई और यह आतंकवादियों को डरा रही है कि सरकार भी उन्हें नहीं बचा पा रही।
ऑपरेशन अज्ञात: एक गुप्त शक्ति?
अब सवाल ये है, क्या ये ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा है? क्योंकि इन हमलावरों की पहचान अब तक गुप्त है, लेकिन एज अ इंडियन हम फील ले रहे हैं कि हमारी गुप्त ताकत है जो सारी दुनिया को दिखा रही है कि हमसे संभल के रहना। कई लोग इसे ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा मान रहे हैं और इसी के तहत यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान में बीते कुछ सालों में जो आतंकवादी खत्म हुए हैं वो भी एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा है, क्योंकि ये सिर्फ एक आतंकवादी की मौत नहीं है। अब यह क्लियर मैसेज है - नो मोर टेररिज्म! और इसी तहत एक ऑपरेशन ऐसा लगता है कि गुप्त भी चल रहा है।
पाकिस्तान में कई और आतंकवादी हैं जो गुप्त तरीके से मारे गए हैं, क्योंकि सैफुल्लाह खालिद की मौत कोई पहली घटना नहीं है। बीते कुछ सालों में पाकिस्तान में कई बड़े आतंकवादी अज्ञात बंदूकधारियों के हाथों मारे गए। कौन-कौन? हम बताते हैं:
- अबू कताल जिया उर रहमान: लश्कर का आतंकवादी जो जम्मू-कश्मीर में कई हमलों में शामिल था। मई 2025 में पाकिस्तान के पंजाब में कुछ अज्ञात लोग आते हैं और 'थैंक यू' करके चले जाते हैं।
- शाहिद लतीफ: जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर था। पठानकोट एयरबेस पर जो हमला हुआ था। अक्टूबर 2023 में सियालकोट में एक मस्जिद में कुछ अज्ञात लोग आते हैं और मस्जिद में ही इनको वहां से वहां भेज देते हैं, कहते हैं जाओ।
- अदनान अहमद: हाफिज सईद का करीबी था, लश्कर का सीनियर कमांडर था। उसे भी पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने 'थैंक यू' कर दिया था।
- खालिद उर्फ अबू आकाशा: लश्कर का यह भी कुख्यात आतंकी था। पुंछ राजौरी में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। इसे तो ऑपरेशन सिंदूर में 'थैंक्यू' किया गया था।
- मसूद अज़हर के करीबी: ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर में जैश-मोहम्मद के मुख्यालय पर जब भारत के ड्रोन मिसाइल गिरे थे, तो कई सारे 'थैंक्यू' हो गए थे।
कुल मिलाकर कहें तो बीते कुछ सालों में 15-16 आतंकवादी ऐसे हैं जो 'थैंक्यू' हुए हैं, और यह बड़ा स्पष्ट है। अच्छी बात यह है कि इनमें कई सारे ऐसे हैं जो अज्ञात शक्ति के हाथों 'थैंक यू'। कई दिनों के बाद ये अज्ञात शक्ति जो है ये एक्टिव हुई है। अब ये अज्ञात शक्ति जो भी है, एक बार फिर से हम कह रहे हैं, थैंक यू।
युद्ध जारी रहेगा
भारत ने कहा था कि हम युद्ध नहीं रोकेंगे, हम 'थैंक यू' रहेंगे। पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को जो हुआ था, उसके बाद ही यह स्पष्ट था कि इस बार यह इतनी जल्दी खत्म नहीं होगा। 28 लोग हमारे मरे थे, और वहीं से सारी कहानियां शुरू हुई थीं। अब धीरे-धीरे एक-एक इंसान खत्म हो रहा है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने स्पष्ट किया था कि आतंक के खिलाफ युद्ध खत्म नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि हिसाब तगड़ा होगा इस बार, और हुआ। 7 मई 2025: ऑपरेशन सिंदूर, नौ आतंकवादी ठिकानों पर हमने ठोका, 100 से अधिक आतंकवादियों को हमने मारा।
फिर कश्मीर में ऑपरेशन किलर। कश्मीर में भी आतंक के खिलाफ जबरदस्त ऑपरेशन चला। दक्षिण कश्मीर के शोपियां में आतंकवादियों को खत्म किया जा रहा था। 13 मई को शोपियां में मुठभेड़ हुई, जबरदस्त तरीके से आतंकवादियों को मारा गया। वो जो नीचे तस्वीरें पड़ी थीं, जहां भारतीय सेना के जवान कह रहे थे भारत माता की जय, भारत माता की जय, वो तस्वीरें भी एहसास दिला रही थीं कि अब आतंकवादियों को जहन्नुम में भेजने का वक्त आ गया है। शाहिद कट्टे और अदनान शफी उसमें शामिल थे और उसमें भी शाहिद कट्टे जो थे वो 2024 में बीजेपी सरपंच की हत्या में शामिल था। इसके अलावा भी कई सारे आतंकवादियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाए गए। सैकड़ों लोगों से पूछताछ की गई, कई सारे आतंकवादियों के घर जो हैं वह नष्ट कर दिए गए। कुल मिलाकर कोशिश ये थी कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर और उसके मुखौटा संगठन टीआरएफ को जड़ से उखाड़ लेना। भारत वो कर रहा है।
युद्ध खत्म नहीं हुआ है, और फिर हम कह रहे हैं जिसको लगता है खत्म हो गया है, वो इस लाश से पूछ ले। सैफुल्लाह खालिद की लाश चीख-चीख कर कह रही है, युद्ध खत्म नहीं हुआ। वो जो तड़प मरने से पहले उसको आ रही थी, वही तड़प भारत अब आतंक को देना चाहता है। वो कहना चाहता है कि हमने बहुत सह लिया, अब हमारी बारी है। वो खौफ जो आतंकवादी हमारे सीने में पैदा करने आते हैं, अब वो आतंकवादियों में हम पैदा करेंगे।
भारत का संकल्प
और इसीलिए सैफुल्लाह खालिद की मौत सिर्फ एक आतंकी का अंत नहीं है, उस भारत का संकल्प है जो कहता है - हम ना झुकेंगे ना रुकेंगे। हर आतंकी, चाहे वो पाकिस्तान में छिपा हो, नेपाल में हो, कश्मीर में घुसपैठ करे, अब उसको ठोकेंगे। आईएसआई बचाना चाहे, जितनी कोशिश करना चाहे कर ले। कुछ को घर में घुस के मारेंगे, कुछ को अपने घर में मारेंगे और कुछ को अज्ञात मारेंगे।
तो इसलिए हम देश से भी कह रहे हैं कि जब ये सब चल रहा है तो देश एकजुट रहेगा। पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा में मत पड़िएगा। समय एकजुट रहने का है, सैनिकों का हौसला बढ़ाने का है। हम साथ रहेंगे तो ये टिटपुंजी अपने आप खत्म हो जाएंगे। इनकी वैसे भी क्या हैसियत है बताओ यार, मोटरसाइकिल चलाने के लिए शाहिद अफरीदी को अवार्ड दे दिया इन्होंने, मतलब क्या लॉजिक था उस बात का? लेकिन दैट इज पाकिस्तान। जितने दिन युद्ध नहीं चला उससे ज्यादा उनका जश्न चल रहा है। लेकिन हमको उनकी तरह नहीं बनना है, हमको दुनिया को बताना था कि हम शांति चाहते हैं, लेकिन अगर हमारी धरती पर कोई आग उठाएगा तो उस शांति के लिए हम युद्ध लड़ने को भी तैयार हैं, और यह युद्ध आतंक के खिलाफ है। तब तक लड़ा जाएगा जब तक आखिरी आतंकवादी का खात्मा नहीं हो जाता।
और अब आप गिनते रहिए, हम आपको भी सुनाते रहेंगे। सैफुल्लाह जैसे कितने आतंकवादियों की चीखें आएंगी, वो हम आपको गिनाते रहेंगे। भारत के शौर्य पर आप भी गर्व कीजिए। जय हिंद, जय भारत! नमस्कार।
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