ऑपरेशन हनीमून: एक डरावनी कहानी । Operation Honeymoon : Meghalaya Police Expose Sonam Raghuvanshi | Raja Raghuvanshi

 राजा रघुवंशी की हत्या की साजिश रचने वाली पत्नी सोनम की कहानी. क्या शादी में विश्वासघात सामान्य हो गया है? जानिए इस चौंकाने वाले मामले के हर पहलू को.



मेघालय की वादियों में सोनम द्वारा कहे गए "मार डालो इसे" – ये सिर्फ तीन शब्द नहीं थे, बल्कि एक ऐसा खंजर था जिसने न केवल एक पति के सीने को छलनी किया, बल्कि 'शादी' जैसे पवित्र रिश्ते को भी तार-तार कर दिया. सोनम की उस एक आवाज़ से एक इंसान का अंत नहीं हुआ, बल्कि एक विश्वास का जनाज़ा उठा. यह सिर्फ एक हत्या नहीं, सात फेरों को चीरती हुई चीख थी. यह उस भरोसे का कत्ल था, जो सात फेरों की कसमें में पिरोया जाता है; उस विश्वास का कत्ल था जिसमें शादी के बंधन में बंधकर एक-दूसरे से सुख-दुख में साथ निभाने का वादा किया जाता है. जब मेघालय की वादियों में सोनम ने कहा "मार डालो इसे", तो हर कसम, हर वादा खून से लथपथ ज़मीन पर पड़ा था, मानो प्रेम, विवाह, शादी, बंधन – सब कुछ शर्म से शर्मिंदा हो चुके थे. क्योंकि जब राजा मरा, तो सिर्फ वो नहीं मरा; मरा वो यकीन जो प्रेम के बंधन में बनता है, वो शादी पर जो विश्वास रखता है, वो सात फेरों में सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा होता है – वो मरा, मरी वो आस्था जो डोली में बैठती दुल्हन के हाथों में मेहंदी बनती है और दूल्हे की आँखों में एक नए भविष्य की चमक देती है.

यह सब इसलिए, क्योंकि राजा की मौत किसी कातिल की गोली से नहीं, बल्कि उस स्त्री से हुई थी जिसके नाम पर उसने अपनी दुनिया बसाई थी. एक ऐसा विश्वासघात जो इंसानियत के गाल पर तमाचा बनकर पड़ा है, और अब मानो राजा यह पूछ रहा होगा कि सोनम, तुम कैसे कर सकती हो? यकीनन राजा की जब साँसें निकल रही होंगी, तो वह पूछ रहा होगा कि सोनम, तुम कैसे कर सकती हो? तुम्हारे साथ तो मैंने सात फेरे लिए थे, तुम कैसे मुझे मारने का आदेश दे सकती हो?



ऑपरेशन हनीमून: एक डरावनी कहानी

पुलिस ने "ऑपरेशन हनीमून" के नाम से जो कहानी बताई है, वह इतनी डराने वाली है कि शादी जैसे पवित्र बंधन से विश्वास उठ जाएगा. मेघालय पुलिस, जिस पर तमाम तरह के आरोप लगे, उसने "ऑपरेशन हनीमून" के नाम से सोनम के इस पूरे कांड को उजागर किया. जब यह खुलासा हुआ, तो सारी दुनिया की ज़ुबान से सिर्फ एक सवाल निकला: क्या बीवियां भी पतियों की सुपारी देती हैं? यक़ीन मानिए, वो आत्मा जो शरीर से निकलकर ऊपर गई होगी, शायद भगवान और इंसान, दोनों से पूछ रही होगी: क्या अब कोई इस तरह से प्यार पर अंधा होकर यकीन कर पाएगा? क्योंकि सोनम को अपने आशिक के साथ जाना था, चली जाती; किसी मासूम को मारने की ज़रूरत क्या थी? ऐसे नाटक को रचने की ज़रूरत क्या थी? भावनाओं से खेलने की ज़रूरत क्या थी?


सोनम का दोहरा खेल

और इन सब के बाद भी, वो बेशर्म औरत राजा की माँ को फोन करके बोलती है कि "माँ, उपवास है." अब जाकर बेटे की माँ को पता चला है कि उस दिन उसकी बहू का उपवास नहीं था, उसके बेटे की मौत का वो भोज कर रही थी. वो औरत जिसे वो अपनी बहू बनाकर लाई थी, वो उनके बेटे की मौत पर जश्न मना रही थी. 23 मई 2025 को मेघालय की घाटियों में हत्या होती है, और अब पुलिस ने "ऑपरेशन हनीमून" के ज़रिए बताया है कि यह हत्या नहीं, एक नाटक था, जिसकी डायरेक्टर खुद सोनम थी. मेघालय पुलिस ने जो खुलासे किए हैं, वो आपके पैरों तले ज़मीन खिसका देंगे, क्योंकि इंदौर के राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में यह खुलासा हुआ है कि सोनम ने डबल प्लानिंग की थी.

उसने अपने पति राजा के साथ फ्लाइट के टिकट बुक करवाए, और चार आरोपी - राज कुशवाहा, आकाश राजपूत, आनंद और विशाल - के ट्रेन के टिकट कटाए. सोनम राजा को ज़बरदस्ती गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी दर्शन के लिए ले गई थी. सोनम ने बिना राजा से पूछे टिकट बुक कराए, क्योंकि यह उसकी प्लानिंग का हिस्सा था. शादी के बाद सोनम अपने मायके में थी, और उसी दौरान उसने दो सिम खरीद लिए. सोनम का आशिक राज, सोनम के पिता की दुकान पर काम करता था, इसीलिए सोनम ने आसानी से एक सिम राज को दे दिया और दूसरा अपने पास रख लिया. प्लानिंग पूरी थी: "हम फ्लाइट से जाएँगे, तुम ट्रेन से आओगे."



प्लान में बदलाव और अंजाम

20 मई को जब राज रेलवे स्टेशन पहुँचा, तो न जाने क्यों उसका मन बदल गया और वो ट्रेन में नहीं बैठा. राज ने अपना सिम अपने दोस्त विशाल को दे दिया, और इसके बाद सोनम विशाल से बातचीत करती रही. विशाल ने ही बताया कि राज उसके साथ नहीं आया है. यह वही विशाल है जिसने राजा के सिर पर वार किया जब सोनम ने कहा "मार डालो इसे." हालांकि, विशाल का भी मन राजा को मारने से बीच में बहक गया था. उसने कहा, "नहीं मारते," लेकिन सोनम ने कहा, "प्लान के मुताबिक काम होगा."

मेघालय पुलिस यह कहती है कि शिलांग में राजा रघुवंशी की हत्या उसकी पत्नी सोनम रघुवंशी ने करवाई थी. सोनम ने अपने प्रेमी से कहा था कि "चलो ठीक है, पापा के कहने पर मैं शादी कर ले रही हूँ, लेकिन अपने पति को मैं रास्ते से हटा दूँगी." कई सारे स्क्रीनशॉट्स वायरल हुए हैं जहाँ पर सोनम अपने आशिक से कह रही है कि "वो मेरे करीब आने की कोशिश कर रहा है, मुझे उलझन हो रही है." सवाल फिर वही उठता है कि अगर उसे साथ नहीं रहना था, तो उसे मारने की ज़रूरत क्या थी? और ये सारे आरोपी जो हैं, ये सब सोनम के इशारों पर काम कर रहे थे.

जिस होटल में सोनम और राजा रुके थे, वहीं कुछ दूरी पर ये भी कमरा लेकर रुके, और तीनों हथियार लेकर घूम रहे थे, इंतज़ार कर रहे थे कि कब सोनम कहेगी और कब ये मार देंगे. और इनका प्लान था कि एक ऐसे इलाके में हत्या करेंगे जहाँ जंगल हो और सीसीटीवी कैमरा न हो, ताकि दिखाया जाए कि लूटपाट हुई है. ये आरोपी अब पुलिस को बताते हैं कि जब पहाड़ी पर चढ़ते-चढ़ते थक गए थे, तब इनका मन किया कि अब ये हत्या का प्लान हटा देते हैं, लेकिन सोनम ने कहा, "मैं और पैसे दूँगी, मेरे पति को मार दो." और इसी के बाद इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया.


गिरफ्तारी और सवाल

हत्याकांड से पहले सोनम ने सास को कॉल किया और अपनी सास को कॉल करने के बाद, इसके कातिलों को संकेत दे दिया. हैरानी है कि एक पत्नी अपने पति की हत्या की साज़िश इस तरह से प्लान कर सकती है. हैरानी इस बात की भी है कि हत्या करने के बाद 25 किलोमीटर सोनम इन्हीं कातिलों के साथ घूमती रही. एक अनजान जगह पर गई, इन आरोपियों को नकद में पैसे दिए और कहा कि "बचे हुए पैसे मैं तुमको बाद में दे दूँगी, मुझसे संपर्क मत करना." उन बाकी तीन लोगों से संपर्क काट दिया और अपने प्रेमी राज से दूसरे सिम के ज़रिए लगातार संवाद करती रही. सोनम इसके बाद गुवाहाटी से यूपी पहुँच गई, मानो उसे लगा कि अपने अपराध को बादलों में छुपा लेगी, लेकिन खून की गंध हवा को भारी कर देती है. मेघालय पुलिस ने गाज़ीपुर के ढाबे से उसे पकड़ लिया, और जब उसके आशिक के सामने उसे पूछताछ में बिठाया गया, तो उसने कबूल किया कि हाँ, उसने ही मरवाया है.

मेघालय पुलिस पर बड़े आरोप लगे थे कि आपके राज्य में लोग सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन 29 लाख की आबादी वाले इस छोटे से राज्य में 11,000 पुलिसकर्मियों ने हर सीसीटीवी फुटेज खंगाला, हर मोबाइल टावर खंगाला, और उसके बाद इस राज से खुलासा कर दिया कि कातिल कोई और नहीं, बल्कि उसकी पत्नी थी. पर सवाल यह है कि इसमें राजा रघुवंशी का दोष क्या था? राजा ने तो सोनम से शादी की थी, सपने देखे थे हनीमून की रंगीन वादियों में एक साथ जीने-मरने की कसमें खाने के लिए वो गया था, लेकिन सोनम का दिल किसी और शख्स के पास था, जो लकड़ी के कारखाने में एक मज़दूर था. उसने उस मज़दूर के लिए जिसके साथ सात फेरे लिए, सात जन्मों का वादा किया, उसको मार डाला.



रिश्तों पर सवाल

और इसीलिए आज सारी दुनिया यह सवाल पूछ रही है कि क्या ये वही रिश्ते हैं जिन्हें सात जन्मों तक निभाने का वादा शादी में किया जाता है? क्या ये वही प्रेम है जिसे हम माँग का सिंदूर कहकर संवाद करते हैं? यह कहानी किसी प्यार में टूटे लड़के की नहीं है, यह कहानी उस समाज की है जहाँ एक तरफ बेटियों को देवी मानकर पूजने की परंपरा है और वहीं दूसरी तरफ बेटियां किसी की ज़िंदगी को अपनी नाखुशी का मलबा बना देती हैं. सोनम ने अपने पति को इसलिए नहीं मारा कि राजा बुरा इंसान था. सोनम ने इसलिए नहीं मारा क्योंकि राजा शराबी था या मारपीट करता था या दहेज माँग रहा था. उसने बस इसलिए मारा, क्योंकि जिस इंसान से वो प्रेम करती थी, वो राजा नहीं था, वो राज था.

और सवाल इसीलिए यह है कि क्या यही क्राइटेरिया होगा किसी को मौत के घाट उतारने का कि अगर मोहब्बत किसी और से की जाए और शादी किसी और से हो जाए, तो क्या उसकी हत्या करवा दी जाए? क्या यही वो नई आज़ादी की परिभाषा है जिसमें न चाहने का मतलब उसको मार डालना हो गया है? सोनम का अपराध सिर्फ एक हत्या नहीं है, वो उस हर लड़की का भरोसा तोड़ती है जो वाकई में एक अच्छे रिश्ते को निभाना चाहती है. उसने हर उस स्त्री के संघर्ष को मारा है जो वाकई में सम्मान की लड़ाई लड़ रही है.


समाज का दायित्व और सीख

और सोनम कोई अकेली नहीं है. बीते दिनों कई ऐसी घटनाएँ आई हैं; आप मानव शर्मा का किस्सा याद कर लीजिए, सौरभ का किस्सा याद कर लीजिए, अतुल सुभाष का किस्सा याद कर लीजिए – हर नाम एक चीख है जो कहता है कि प्यार अब जाल बन गया है. हालांकि सवाल यह भी उठता है कि क्या इन घटनाओं के लिए हम हर औरत को दोष दे दें? क्या हर पुरुष राजा है? तो जवाब है, नहीं. इस मौके पर हमें आक्रोश है, लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि यह कहानी न पति की है न पत्नी की है, यह कहानी उस सोच की है जो ज़हरीली हो चुकी है. जब सोनम ने कहा "मार डालो इसे," तो उसने सिर्फ राजा को नहीं मारा, उसने उस भरोसे को मारा, उस प्यार को मारा, उस शादी के सात फेरों को मारा जिसे हम और आप पवित्र मानते हैं.

सवाल यह है कि समाज अब सारी औरतों पर उंगलियाँ उठा रहा है, हर पत्नी पर, हर औरत पर लोग सोनम को डायन कह रहे हैं. सोनम के मामले में यह कहानी सच है, लेकिन क्या हर औरत ऐसी है? क्योंकि इसी धरती पर हमने सृजना जैसी औरतें भी देखी हैं, जिन्होंने अपने पति का साथ आखिरी दम तक निभाया और पति को हंसते-हंसते नम आँखों से विदाई दी, और ऐसी विदाई दी जिसे देखकर हम सबकी आँखों से आँसू निकल आए थे. मौजूदा दौर में ऐसा लगता है कि हम शादी को ज़िंदगी और मौत का खेल बना चुके हैं. माँ-बाप बच्चों की ज़िंदगी में ठेकेदार बन बैठे हैं. सोनम के घरवाले भी इस पूरे घटनाक्रम में दोषी हैं, क्योंकि सोनम के घरवाले इस बात को जानते थे कि उनकी बिटिया का दिल कहीं और है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इसलिए राजा के गले में बाँध दिया क्योंकि मज़दूर से शादी करवाना शायद समाज में उनकी शर्मिंदगी का वजह बनता, लेकिन इस शर्मिंदगी ने एक बेगुनाह की जान ले ली, किसी के लाल को छीन लिया. और क्या इसके लिए इनके परिवार वाले दोषी नहीं हैं? यह सवाल अपने आप में बड़ा महत्वपूर्ण है.



प्रेम, आज़ादी और विश्वास का भविष्य

यह सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है इस वक्त देश में कई लोग ऐसे हैं जो ये भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या चाहती है औरत? औरत को आखिर क्या चाहिए? वैसे यह सवाल नहीं, एक तमाचा है, क्योंकि औरतें भी वही चाहती हैं जो पुरुष चाहते हैं: प्यार, सम्मान, आज़ादी. लेकिन सोनम ने आज़ादी को शायद हत्या समझ लिया था; उसने राजा को नहीं, अपने विवेक को मार दिया था. और समाज, समाज यह बात भूल रहा है कि ऐसे मामले शायद 0.001% ही आते हैं. हर औरत पर हमें शक करना सही नहीं है, क्योंकि हमारी माँ, हमारी बहन, हमारी बेटियां भी उसी महिला बिरादरी की हैं. अगर वो पवित्र हैं, तो हम सबको एक निगाहों से नहीं देख सकते. लेकिन हाँ, ऐसी घटनाओं में हमें सोचने-समझने की अब ज़रूरत है, क्योंकि यह कहानी सिर्फ सोनम और राजा की नहीं है, यह हर उस इंसान की कहानी है जो प्यार के नाम पर धोखा देता है, यह हर उस परिवार की कहानी है जो बच्चों की खुशी से ज़्यादा अपनी इज़्ज़त को तवज्जो देता है, यह उस समाज की कहानी है जो शादी को ज़िंदगी और मौत का खेल बना देती है. राजा ने सोनम पर भरोसा किया, लेकिन सोनम ने उसे चाकू से चीर दिया.

लेकिन क्या हर औरत डायन है? क्या हर औरत से प्यार करने से पहले जासूसी होगी? क्या हर औरत जो आपके घर में है, उस पर सवाल खड़े होंगे? यह सवाल शायद अतिशयोक्ति है, क्योंकि सोनम जैसी औरतें जहाँ विश्वासघात करती हैं, रिश्तों को कलंकित करती हैं, तो वहीं इस दुनिया में सृजना जैसी महिलाएँ भी हैं जिन्होंने अपने पति का साथ आखिरी दम तक निभाया है. रावण और राम दोनों इस धरती पर बसे हैं; जहाँ पूतना है, वहीं राधा है. कुछ मामले - राजा, मानव शर्मा, सौरभ, अतुल सुभाष - को आधार बनाकर शायद हम पूरे जेंडर पर सवाल खड़ा नहीं कर सकते. जैसे यह सवाल मुश्किल है कि क्या अच्छी पत्नी मिलेगी, वैसे ही यह सवाल भी सच है कि हर साल हज़ारों महिलाएँ घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, मानसिक उत्पीड़न का शिकार होती हैं. ऐसे में अच्छा पति मिलना भी चुनौती है.



सीख जो खून से लिखी गई

इस घटना ने हालांकि हमें सबक सिखाया है, वो सबक जो खून से लिखा गया है. सोनम को सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन हमें भी यह समझना पड़ेगा कि हम अपने बच्चों की ज़िंदगी की आज़ादी को मत छीनें, क्योंकि शादी कोई जाल नहीं है, दो आत्माओं का मिलन होना चाहिए. लेकिन जब तक हम बच्चों को उनकी मर्ज़ी के खिलाफ बाँधेंगे, प्यार को साज़िश से ज़्यादा तवज्जो नहीं देंगे, तब तक राज यूँ ही मरते रहेंगे और सोनम हत्यारी बनती रहेंगी. बच्चों को पढ़ाइए, उन्हें बेहतर संस्कार दीजिए, उनके लिए आधारभूत संपत्ति बनाइए, लेकिन एक उम्र के बाद उनकी ठेकेदारी को छोड़ दीजिए. अगर सोनम को राज कुशवाहा के साथ जाने दिया गया होता, तो शायद वो दोनों अपना छोटा-मोटा संसार बना लेते. अच्छा, बुरा जैसे भी होता, कम से कम राजा की साँसें चलती रहतीं.

लेकिन माँ-बाप कई बार यह सोचते हैं कि शादी हो गई तो लड़का सुधर जाएगा, शादी हो गई तो लड़की सुधर जाएगी. शादी में अपनी औलाद को सुधारने के लिए आप किसी और की ज़िंदगी बर्बाद न करें. यह हमारी तमाम माँ-बाप से अपील है, नहीं तो आप भी उस हत्या में उतने ही ज़िम्मेदार होंगे जितनी आपकी औलाद किसी और की ज़िंदगी को बर्बाद करने के लिए होगी. सोनम ने जो कुछ किया वो घृणित था, लेकिन क्या केवल हम उसे कोसकर चुप हो जाएँगे या उस सोच को बदलेंगे जो रिश्तों को ज़हर बनाती है?

सवाल अब आप पर है कि क्या प्यार को हम मौका देंगे या शादी को जासूसी खेल बनाएँगे? जवाब भी आप पर है, क्योंकि मेघालय की वादियाँ अब खामोश हैं. राजा की आत्मा अभी भी पूछ रही है कि मैंने तो भरोसा किया था, फिर यह सज़ा क्यों मिली? लेकिन सच ये भी है, अब सबक लेना होगा. सबक शादी करते वक्त भी लेना होगा, सबक लड़की के मन जानने को लेकर भी होगा, सबक लड़कों के मन जानने को लेकर भी होगा, क्योंकि कुछ घटनाओं को आधार बनाकर जब इन ख़बरों को हम पेश कर रहे हैं, तो महिला जाति पर जो घटनाएँ हुई हैं, उनको हम नहीं भूल रहे. सबक हमें यह लेना होगा कि शादी सिर्फ परिवार देखकर मत की जाए, लड़का और लड़की का मन भी जाना जाए कि क्या जब वो शादी कर रहे हैं, तो इस रिश्ते के लिए वो मानसिक तौर पर तैयार हैं? और अगर नहीं तैयार हैं और माँ-बाप उन्हें सुधारने के लिए इस रिश्ते में ठूस रहे हैं, तो क्या यह दो परिवारों की ज़िंदगी को बर्बाद नहीं कर रहे?

क्योंकि सोनम की इस घटना ने सिर्फ सोनम की ज़िंदगी बर्बाद नहीं की, तीन परिवारों की ज़िंदगी बर्बाद की – अपने घर की, राजा के घर की, और उस राज के घर की जो उसके यहाँ मज़दूरी कर रहा था. और इसके साथ उन लड़कों की भी जो इस घटनाक्रम में पैसों के लिए शामिल थे. हालांकि जो कुछ हुआ है उसने इस रिश्ते को कलंकित किया है, लेकिन फिर वही है कि ये दुनिया वीरों से भरी पड़ी है. इस धरती पर तमाम लोग ऐसे हैं जिन्होंने प्यार के रिश्ते को अजर अमर किया है. हम उस देश में ही रहते हैं जहाँ पर राधा का एग्जांपल है, रुक्मणी का एग्जांपल है, सीता माता का एग्जांपल है. ऐसे में उम्मीद हम नहीं खोएँगे, लेकिन डर वो लगना लाज़मी है, और यह डर यह सवाल पूछता है कि क्या रिश्तों पर हम दोबारा भरोसा कर पाएँगे? क्या नए दौर में खास तौर पर शादी अब डर की वजह भी बन गई है? क्या बेटियों को विदा करते वक्त जो डर माँ-बाप की आँखों में था, वही डर अब लड़कों को लेकर भी माँ-बाप के मन में आएगा? यह सवाल बड़े महत्वपूर्ण हैं, यह सवाल जलेबी की तरह गोल-गोल घुमाते हैं, लेकिन ये रिश्तों की बात है, और इसीलिए हम कह रहे हैं कि आप जब रिश्ता कीजिए तो सिर्फ कुंडली का मिलान मत कीजिए, मन का मिलान भी कीजिए, क्योंकि मन नहीं मिला तो कुंडली किसी काम की नहीं आएगी.


Q&A


1. विवाह या विश्वासघात? सोनम, राजा और "ऑपरेशन हनीमून" की दिल दहला देने वाली कहानी

2. सोनम का खंजर: एक शादी, एक कत्ल और रिश्तों की कड़वी सच्चाई

3. मेघालय की वादियों से उठी चीख: जब प्यार बना हत्या का जाल

4. प्यार का कत्ल: सोनम, राजा और बिखरे सात फेरों की दास्तान

5. ऑपरेशन हनीमून: एक पत्नी ने कैसे रची पति की हत्या की साजिश


* मेघालय में 'मार डालो इसे' कहकर सोनम ने अपने पति राजा की हत्या करवा दी. जानिए 'ऑपरेशन हनीमून' की पूरी कहानी, रिश्तों में विश्वासघात और समाज पर उठते सवालों की कड़वी सच्चाई.

* क्या प्यार अब जाल बन गया है? सोनम ने कैसे अपने ही पति राजा को मौत के घाट उतारा और कैसे यह घटना शादी के पवित्र बंधन पर सवाल उठाती है. पूरी कहानी जानें.

* एक शादी जो बदल गई हत्या में: सोनम और राजा की कहानी सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि भरोसे के कत्ल और समाज की गहरी समस्याओं का आईना है. जानें पूरी दास्तान.

* सोनम के एक इशारे पर पति राजा की मौत ने देश को हिला दिया. मेघालय पुलिस के 'ऑपरेशन हनीमून' ने कैसे इस हत्याकांड का पर्दाफाश किया, पढ़ें रिश्तों के इस धोखे की पूरी कहानी.

* राजा रघुवंशी की हत्या की साजिश रचने वाली पत्नी सोनम की कहानी. क्या शादी में विश्वासघात सामान्य हो गया है? जानिए इस चौंकाने वाले मामले के हर पहलू को.

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