शादी या मौत का सफर? बदलते रिश्तों की डरावनी हकीकत Marriage or Journey of Death? The Frightening Reality of Changing Relationships

बेटों की विदाई पर क्यों काँप रहे हैं माँ-बाप? राजा रघुवंशी हत्याकांड ने रिश्तों पर से भरोसा कैसे उठाया? जानिए शादी, धोखा और आधुनिक समाज के कड़वे सच।



पहले जहाँ बेटियों के विदा होने पर माँ-बाप की आँखें भर आती थीं, वहीं अब बेटों को शादी के लिए विदा करते हुए भी माँ-बाप की रूह काँपने लगी है. ऐसा इसलिए क्योंकि अब दूल्हा बनकर निकला बेटा कभी-कभी कफ़न में लिपटकर लौट आता है. हाल ही में मुस्कान रस्तोगी ने जिस तरह से अपने पति को मारकर ड्रम में डाल दिया और अब मेघालय की सुनसान वादियों में राजा रघुवंशी के साथ जो कुछ हुआ, उसने मानवता के रिश्ते को तार-तार कर दिया है.

यह केवल हत्या नहीं थी, बल्कि उस भरोसे की चिता थी जिसे हम और आप शादी का नाम देते हैं. कातिल कोई बाहर का नहीं था, बल्कि उसी सिंदूर में छिपा था जिसे प्यार का प्रतीक माना गया. राजा की शादी की तैयारियाँ, बहन के साथ उसके ट्रांजिशनल वीडियोज़, और अपनी पत्नी को सिंदूर लगाते हुए उसकी मुस्कान देखकर मन में यह सवाल उठता है कि हे ईश्वर, अब भरोसा किस पर किया जाए?

शादी जो कभी सात जन्मों के वचन की कहानी लगती थी, अब ऐसा लगता है कि मौजूदा दौर में यह एक जुआ है. इसमें दाँव पर कभी भरोसा तो कभी ज़िंदगी होती है. अगर आपकी किस्मत अच्छी है, तो शादी में आपको प्यार मिल जाएगा, और अगर राजा जैसी किस्मत है, तो आप अखबार की सुर्खियों में आ जाएँगे, जहाँ छपा होगा "पति की हत्या पत्नी के साथ".


शादी: सात फेरों से सात बार सोचने का फैसला

शादी सात फेरों के बंधन से कहीं ज़्यादा सात बार सोचने का फैसला बन गई है. मुस्कान हो या सोनम, इन दोनों के पति और इन दोनों के प्रेमियों का घर-परिवार, पढ़ाई-लिखाई, शक्ल-सूरत, सीरत कुछ भी देख लीजिए, तो आपको यह एहसास होता है कि वाकई में प्यार अंधा होता है. अगर अंधा न होता तो इस तरह के लड़कों के लिए अपने पतियों को मारा न जाता. जिस तरह मारा गया है, उसके बाद हमको यह समझ नहीं आ रहा कि इस प्यार को हम क्या नाम दें. इन दोनों को देखने के बाद यकीन होता है कि प्यार न सिर्फ अंधा होता है, बल्कि बेशरम, बेसुध, बेहया और बेहूदा भी हो सकता है. वरना कौन सी घुट्टी पिलाई जाती है इन लड़कियों को कि एक पढ़ा-लिखा, कमाऊ, सलीकेदार पति छोड़कर ऐसे फटीचर और छपरी लोगों को वो गले लगाती हैं और इनके लिए अपने पतियों को मार डालती हैं.

मुस्कान हो या सोनम, आप इनके प्रेमियों के चुनाव पर मत जाइएगा, आप जाइए उस बात पर कि इन्होंने किसको छोड़ा है. इनके त्याग को देखिए, और इनको देखकर यह एहसास होता है कि सच में कई बार इंसान आँखों से नहीं, मानो गटर से देखता है. मैं अभी भी समझ नहीं पा रहा हूँ, इनके पतियों की शक्ल से, इनके पतियों के खानदान से, इनके पतियों के रुतबे से, उनके परिवार से, उनकी नौकरियों से जब इनके प्रेमियों की मैं तुलना करता हूँ तो मुझे समझ नहीं आ रहा. जिनको ये छोड़कर गईं उनके चेहरे में गरिमा थी, उनके घर में शांति थी, अच्छे परिवार से थे, अच्छे कमाने वाले लोग थे वो, शायद जो अपनी बीवी के साथ पूरी जिंदगी खुशी-खुशी रहते. और जिनके पास ये गई हैं, वो एक नंबर के नशेड़ी और छपरी वाले लड़के हैं. और अगर इसको प्यार कहते हैं, तो यकीन मानिए प्यार अंधा नहीं, प्यार विकलांग है. यह गुनाह जैसा है, और अगर यह प्यार माना जा रहा है तो हमें ऐसा लगता है कि यह प्यार बीमारी है.



राजा रघुवंशी हत्याकांड: एक सुनियोजित साजिश

यही बीमारी जो है वो सोनम को लगी थी जब उसकी शादी हुई. 11 मई, 2025 को इंदौर में राजा रघुवंशी अपनी दुल्हन सोनम के साथ सात फेरे ले रहा था. ढोल-नगाड़े बज रहे थे, आँखों में सपने थे, लेकिन शायद ही कोई यह जानता था कि यह फेरे प्यार के नहीं बल्कि मौत के थे. जिसे वो सिंदूर समझ रहा था, वो असल में उसकी मौत का तिलक था. जिसे वो प्यार समझ रहा था, वो धोखे की सबसे खतरनाक शक्ल थी. शादी के 9 दिन बाद ही 20 मई को सोनम अपने पति से कहती है कि मुझे मेघालय घूमना है, कामाख्या जाना है, शिलांग जाना है, हरियालियाँ देखनी हैं, हनीमून का साथ मिलकर मजा लेंगे. पति को एहसास नहीं होता है कि यह सुनियोजित हत्या का जाल था.

पति कहता है कि ठीक है, एक बार मम्मी से बात कर लेते हैं, लेकिन लड़की कहती है कि नहीं, मैंने टिकट बुक कर दी, अब जाना ही पड़ेगा. लड़के की माँ उसे रोकने की कोशिश करती है, लेकिन लड़का नई नवेली पत्नी की पहली ज़िद के सामने हार जाता है और फिर अपनी पत्नी के साथ चला जाता है. हैरानी इस बात की है कि टिकट सिर्फ एक तरफ की थी. 22 मई को दोनों मेघालय पहुँचते हैं. वहाँ पर वादियों में सीढ़ियों पर ट्रेक करते हैं, किराए का स्कूटर लेते हैं. सब कुछ परफेक्ट हनीमून की तरह होता है. फिर 23 मई की सुबह बहू अपनी सास को कॉल करती है कि जंगल में खाना नहीं मिल रहा, रास्ता बड़ा मुश्किल है, पति ट्रैकिंग की ज़िद कर रहा था. वो थकान का नाटक करती है और फिर फोन ऑफ हो गया.

इसके बाद 2 तारीख को राजा की लाश मिलती है. सिर पर धारदार हथियार के निशान होते हैं, गहने गायब होते हैं, पास में सोनम की जैकेट होती है, और किसी को कुछ समझ नहीं आता. हर कोई इस कपल के लिए आँसू बहाता है, हर कोई यह सोचता है कि यार, एक नया नवेला जोड़ा यहाँ से मेघालय गया था, क्या हो गया, क्यों हो गया? लोग लापरवाही का जिक्र कर रहे थे, बीवी के साथ किसी अनहोनी का जिक्र कर रहे थे, लेकिन इन सारी चीजों से पर्दा 9 तारीख को हटता है जब गाजीपुर के एक ढाबे से यह लड़की प्रकट होती है और पुलिस के सामने सरेंडर कर देती है.



पुलिस का खुलासा: सोनम ने ही की थी हत्या

और यहीं से सारे सवाल खड़े होते हैं, क्योंकि पुलिस ये कहती है कि यह सरेंडर एक नाटक था. हत्या किसी और ने नहीं, सोनम ने की थी. और सोनम ने प्लान करके उसे पहले मेघालय बुलाया, फिर खाई तक ले गई, फिर अपने साथियों के साथ मिलकर उसकी हत्या की और हत्या के बाद वहाँ से निकल गई. पुलिस कह रही है कि कोई ड्रामा नहीं, स्क्रिप्टेड मर्डर था. सोनम का राज कुशवाहा के साथ अफेयर था, शादी हुई लेकिन उसका दिल-दिमाग राज के पास था, और बार-बार सीसीटीवी फुटेज में भी वो दिखाई पड़ती है. इनफैक्ट, आपको जानकर हैरानी होगी कि वहाँ पर एक टूरिस्ट गाइड ने भी कहा कि जब ये लोग हनीमून मना रहे थे, उस वक्त और भी लोग वहाँ थे.

सोनम अभी भी कह रही है कि मैं बेगुनाह हूँ, पीड़ित हूँ, अपहरण हुआ था. लेकिन पुलिस सवाल पूछ रही है कि बहन, वहाँ से यहाँ पहुँच गई, तुम्हारे शरीर पर एक खरोंच नहीं. तुम्हारे पति की लाश को चाकुओं से छलनी कर दिया गया, तुम पूरी तरह से बेदाग हो. शिलॉन्ग से गाजीपुर की दूरी 1162 किलोमीटर है. तुम्हें वहाँ तक कोई थाना नहीं मिला? तुम्हारे गहने कहाँ गए? और सबसे बड़ा सवाल, अगर तुम बेगुनाह थी तो फिर बाकी अपराधियों के पकड़े जाने के बाद ही सामने क्यों आई?


परिजनों का दर्द और समाज के सवाल

राजा की माँ संगीता की आँखें सूख चुकी हैं. वो बार-बार कह रही हैं कि मेरे बेटे ने इस पर भरोसा किया, मेरा लाल छीनकर चला गया. फूट-फूट कर रो रही हैं. भाई कह रहा है कि हमें नहीं पता था कि हम अपने भाई को हनीमून पर नहीं बल्कि मौत के सफर पर भेज रहे हैं. उधर राजा और सोनम की शादी का वीडियो भी डराता है. जिस तरह से राजा रस्में निभा रहा था, हँस रहा था, मुस्कुरा रहा था, मेहमानों के बीच अपनी दुल्हन को प्यार से देख रहा था, उसके बाद लोगों को शादी से डर लगने लगा है. लोग कह रहे हैं कि क्या मजबूरी थी? अगर लड़की को शादी नहीं करनी थी तो वो छोड़ सकती थी, परिवार से बगावत कर सकती थी, लेकिन शादी के 10 दिन के अंदर अपने पति को मारना कहाँ से जायज है? अगर आशिक से प्यार था तो वो भाग जाती, पति से तलाक ले लेती, लेकिन एक माँ का बेटा, एक बहन का भाई, एक परिवार का सहारा आखिर क्यों छीन लिया गया? क्यों शादी जैसे पवित्र बंधन को दागदार कर दिया गया?

हालांकि, यह घटना सिर्फ राजा की हत्या नहीं है, जैसा कि हमने पहले भी कहा कि यह उस भरोसे का कत्ल है जिसे हमने शादी का नाम दिया. क्योंकि आज प्यार, शादी, भरोसा इन सब पर सवाल है. माँ-बाप का दबाव, समाज का बोझ, लोग क्या कहेंगे, यह सोच जिंदगियाँ छीन रही है. सोनम की शादी जबरदस्ती हुई या नहीं, यह एक सवाल है, लेकिन जो रास्ता उसने चुना – धोखे का, साजिश का, खून का – वो किसी भी मजबूरी का जवाब नहीं हो सकता. अगर उसे अपनी पसंद बताने की हिम्मत दी गई होती, अगर समाज में खुलकर बोलने का मौका दिया गया होता, यह बातें चल रही हैं, लेकिन इन सारी बातों से ऊपर उठकर सवाल आज भी वही है कि किसी के कत्ल को आप जायज नहीं ठहरा सकते.



बदलते रिश्ते और सुरक्षा की चिंता

बेटियों को अपनी पसंद की आज़ादी चुनने की बात चल रही है, लेकिन लड़कों से भी अब यह कहा जा रहा है कि शादी से पहले बैकग्राउंड चेक करवाएँ, चरित्र परखें, क्योंकि आज सिंदूर से ज़्यादा भरोसा एफआईआर की कॉपी पर हो रहा है. सुहागरात के तकिए के नीचे कभी भी खंजर छिपा हो सकता है, क्योंकि शादी अब सात जन्मों का केवल बंधन नहीं, केवल एक रस्म नहीं, बल्कि कई बार एक ऐसा फैसला भी है जिसमें एक गलती पूरे परिवार को बर्बाद कर सकती है, किसी की जिंदगी को उससे छीन सकती है.

और इसीलिए आज कई सवाल हैं:

  • क्या बेटों को भी शादी करने से पहले आगाह करना होगा?
  • क्या प्यार अब प्रेम नहीं बल्कि बारूद का मुखौटा है?
  • क्या यह घटना एक अपवाद मान लें या इससे पहले मुस्कान और साहिल की वो कहानी जिसमें एक पति को ड्रम में पैक कर दिया गया था, उस कहानी से अभी भी हम निकले नहीं हैं?
  • मेरठ की वो घटना आज भी डराती है कि कैसे काम पर गया कोई पति जब वापस लौटता है तो एक रात पहले वो अपने परिवार के साथ जश्न मनाता है, नाचता है, गाता है और उसके बाद उसे मारकर ड्रम में पैक कर दिया जाता है.
  • ये घटनाएँ क्या अपवाद हैं या समाज की बदलती मानसिकता का सबूत?
  • क्या शादी से पहले अब केवल कुंडली नहीं बल्कि क्रिमिनल रिकॉर्ड को मिलाना भी जरूरी है?
  • और सवाल समाज से भी कि लोग क्या कहेंगे की सोच ने क्या रिश्तों को साजिश का गठबंधन बना दिया है?

ये सवाल बड़े महत्वपूर्ण हैं क्योंकि राजा रघुवंशी अब इस दुनिया में नहीं है. उसका दर्द हर उस माँ-बाप का डर बन गया है जो बेटी की शादी करते वक्त सोचते हैं कि उसका घर बस जाएगा. शादी जो जिंदगी की एक नई शुरुआत मानी जा रही थी, क्या मौत की नई राह मानी जाएगी? कौन जाने वो कब घर नहीं लौटेगा? कौन जाने कब शादी के नाम पर किसी कब्र तैयार की जा रही है? शायद इस तरह की कहानियाँ "शादी मुबारक" सुनने को भी डराना महसूस कर देंगी. सवाल यह भी कि कहीं यह बधाई विदाई का सबब तो नहीं बन जाएगी.

सोनम सलाखों के पीछे है, लेकिन राजा की जिंदगी अब नहीं लौटेगी. और यह कहानी एक हत्या की नहीं उस भरोसे की है जो चंद दिनों में चकनाचूर हो जाती है. राजा प्यार की तलाश में मेघालय की वादियों तक गया था, एक कफन में लिपट कर लौटा. उसकी आत्मा भी शायद आज यही पूछ रही होगी कि मेरी क्या गलती है? माँ-बाप के कहने पर शादी की, परिवार के साथ खुशियाँ मनाई, बीवी मिली, उसकी पहली ज़िद मानी, माँ-बाप से लड़कर दूर वादियों में जाकर जश्न मनाने की सोची, लेकिन इन सबके बीच उसकी जिंदगी छीन ली गई.

यह सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है, और जवाब के नाम पर सिर्फ सन्नाटा है. यह सन्नाटा अब समाज को तोड़ना पड़ेगा, नहीं तो न जाने कितने राजा अपनी दुल्हन के हाथों मातम बनते जाएँगे. ये सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है कि क्या बेटियों के साथ अब बेटों को लेकर भी माँ-बाप को डरना पड़ेगा? ये सवाल डराता है. सवाल यह भी डराता है कि मुस्कान के साहिल और इस घटना में सोनम के राज कैसे औरतों को बहका ले जाते हैं. क्योंकि औरतों को लेकर एक मानसिकता यह भी है कि वो अपने माँ-बाप के सामने खुलकर बात नहीं रख पातीं, वो हमेशा निर्भर रहती हैं. पहले माँ-बाप उन्हें भावनात्मक तौर पर मजबूर कर देते हैं और उसके बाद जब शादी हो जाती है तो अपने आशिकों के सामने वो भावनात्मक तौर पर मजबूर हो जाती हैं. लेकिन क्या यह मजबूरी इतनी बड़ी है कि सात जन्मों के रिश्तों को सात दिनों में तोड़ दिया जाए, किसी को ड्रम में दफन कर दिया जाए, किसी को पहाड़ियों पर काटकर पॉलिथीन में पैक कर दिया जाए? यह सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है. क्या यह सवाल आपको डराता है? इस सवाल का जवाब आप भी हमें कमेंट सेक्शन में दें.



Q&A


1. शादी या मौत का सफर? बदलते रिश्तों की डरावनी हकीकत (Marriage or Journey of Death? The Frightening Reality of Changing Relationships)


2. बेटियों के बाद अब बेटों की विदाई भी खौफनाक? रिश्ते, भरोसा और खून (After Daughters, Are Sons' Farewells Also Terrifying? Relationships, Trust, and Bloodshed)


3. विश्वासघात का सिंदूर: जब शादी बन गई मौत का तिलक (The Vermilion of Betrayal: When Marriage Became a Tilak of Death)


4. राजा रघुवंशी हत्याकांड: एक धोखेबाज बीवी की कहानी और समाज के सवाल (Raja Raghuvanshi Murder Case: The Story of a Deceptive Wife and Society's Questions)


कभी पवित्र बंधन मानी जाने वाली शादियाँ अब खूनी खेल बन रही हैं। राजा रघुवंशी जैसे मामलों से बदल रहे रिश्तों और धोखे की कहानियों को जानें। क्या सच में प्यार अंधा होता है या अब यह विकलांग हो गया है?

(Marriages once considered sacred bonds are now turning into bloody games. Learn about changing relationships and tales of betrayal from cases like Raja Raghuvanshi's. Is love truly blind, or has it become crippled?)


बेटों की विदाई पर क्यों काँप रहे हैं माँ-बाप? राजा रघुवंशी हत्याकांड ने रिश्तों पर से भरोसा कैसे उठाया? जानिए शादी, धोखा और आधुनिक समाज के कड़वे सच।

(Why are parents trembling at their sons' farewells? How has the Raja Raghuvanshi murder case eroded trust in relationships? Understand the bitter truths of marriage, betrayal, and modern society.)


मुस्कान रस्तोगी और सोनम जैसी पत्नियों की कहानियाँ हमें क्या सिखाती हैं? जब प्यार अंधा नहीं, बल्कि बेशर्म हो जाए, तो शादी जैसे पवित्र रिश्ते का क्या होगा?

(What do stories of wives like Muskan Rastogi and Sonam teach us? When love isn't just blind but shameless, what happens to sacred relationships like marriage?)


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