RCB - The Champions of IPL 2025, RCB चैंपियन! 18 साल के इंतज़ार और ऐतिहासिक जीत की भावुक कहानी


 जब तुम किसी चीज को पूरी शिद्दत, पूरे जुनून, पूरे दिल से चाहते हो, तो सारी कायनात, सितारे, हवाएं, समय का हर पल उस मंजिल को तुम तक लाने की साजिश रचने लगता है. और देखिए ना, 18 साल, 6574 दिन, 9,46,560 मिनट, 285 मैच, 10 प्लेऑफ, चार फाइनल के बाद आखिरकार आरसीबी चैंपियन बन गई!


सपनों की विजय

वो लम्हा जिसको हर सांस, हर धड़कन, हर सपने में आरसीबियंस ने देखा था, आज वो चमचमाती हुई ट्रॉफी के तौर पर उन्हें मिल चुका है. वो सफर जो साल 2008 में शुरू हुआ, जो 2009 में मुकम्मल हो सकता था, 2011 में पूरा हो सकता था, 2016 में पूरा होते-होते टूट गया, वो इस साल पूरा हो गया है. और इस साल आरसीबी खुलकर कह रही है कि "लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती!"

इस साल "इस साला कप नाम!" विराट कोहली की आंखों में जो आंसू थे, वो बता रहे थे कि हर साल हार ने कैसे फैंस का दिल तोड़ा था. विराट जब फफक-फफक कर रो रहे थे, तो वो बता रहे थे कि हर ट्रोल जिसने जख्म दिया, जिसने मजाक उड़ाया, आज आरसीबियंस ने उन्हें जवाब दे दिया है. आरसीबियंस की मोहब्बत दुनिया में उदाहरण के तौर पर दी जाती है कि आरसीबियंस कभी हार नहीं मानते. उनके जुनून, उनके विश्वास, उनके फैंस के प्यार ने हर बार उन्हें उठ खड़ा होने की ताकत दी, वरना 18 साल तक कौन संघर्ष कर पाता है!


एक ऐतिहासिक तारीख: 3 जून 2025

लेकिन आज 3 जून तारीख याद रखिएगा, क्योंकि ये तारीख आरसीबियंस कभी नहीं भूलेंगे. उन्होंने किसी ने जवानी खपा दी, अपना बचपन गुजार दिया और अब जाकर 18 साल में वो मौका आया जब 3 जून साल 2025 को गुजरात के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में वो पल आया जब करोड़ों दिल एक साथ धड़क रहे थे. वो लम्हा जिसे देखने के लिए आंखें तरस रही थीं, जब सामने आया तो आंखों से झरझर-झरझर आंसू बह रहे थे. वो पल जिसने इतिहास के पन्नों को सुनहरे अक्षरों से सजा दिया, क्योंकि आरसीबी ने फाइनली ट्रॉफी उठा ली है. और आरसीबियंस कह रहे हैं, "ई साला कप नाम दे! नाम दे कि नाम दूं, आप तय कर लो, लेकिन यह ट्रॉफी अब आरसीबी की है."


दुआओं का फर्क

पंजाब बड़ी शानदार टीम थी, लेकिन पंजाब और आरसीबी के बीच में जानते हैं फर्क क्या था? वो जो छह रन से हार हुई है, वो फर्क दुआओं का था, सिर्फ दुआओं का फर्क था. दोनों टीम में कोई फर्क नहीं था, दोनों टीम बराबर थीं, लेकिन वो दुआओं का फर्क था. वो जो थोड़ी ज्यादा दुआएं विराट कोहली के लिए थीं, वो जो थोड़ी ज्यादा दुआएं आरसीबियंस की थीं, और इसीलिए यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं है:

  • यह 18 सालों की तपस्या का फल है.
  • यह उस अटूट विश्वास की जीत है जो कभी डगमगाई नहीं.
  • यह उस जुनून की जीत है जो हार में और ज्यादा मजबूत हुआ.
  • यह उस प्यार की जीत है जो आरसीबी के लाल और नीले रंग में बसता है.

यह जीत है आज आरसीबियंस के तमाम फैंस की जिनके स्टेडियम में, घरों में, सड़कों पर, सोशल मीडिया पर "गो आरसीबी, विन आरसीबी, इस साला कप नाम दे" यह जुनून बस रहा था. और आज नरेंद्र मोदी स्टेडियम में जो तालियों की गड़गड़ाहट दिख रही है, वो जश्न की चीखें जो दिख रही हैं, वो सोशल मीडिया पर जो जोश नजर आ रहा है, वो सड़कों पर जो लाल झंडे नजर आ रहे हैं, जो जश्न दिखाई पड़ रहा है, वो बता रहा है कि आरसीबी ने अपने सपने को पूरा कर लिया है. आरसीबी ने पंजाब को छह रनों से हराकर इतिहास रच दिया है.


मैच का निर्णायक पल

191 रन शायद एक पल को लग रहा था थोड़ा कम पड़ गया. क्या विराट कोहली का एक बार सपना फिर टूट जाएगा? विराट की आज फॉर्म बड़ी शानदार नहीं थी, 35 गेंदों पर 43 रन. लग रहा था कि आलोचक फिर चढ़ जाएंगे. पंजाब ने जिस तरह शुरुआत की थी, जिस तरह इंग्लिश खेल रहे थे, लग रहा था कि मामला फंस जाएगा. लेकिन आखिर में क्या हुआ? शशांक 30 गेंद पर 61 रन बनाकर भी मायूस रह गए, और पंजाब बहुत करीब पहुंचकर दूर हो गई.

आरसीबी को लेकर विराट ने कहा कि जब हमने टीम चुनी थी तो बहुत सारे सवाल उठे थे — कुणाल पांड्या कौन लेता है, सुयश शर्मा को कौन लेता है, भुवनेश्वर को कौन लेता है. और आज देखिए, कुणाल पांड्या हीरो थे. कुणाल पांड्या का वो स्पेल ऐतिहासिक था: चार ओवर, 17 रन, दो विकेट. उन्होंने उम्मीदों पर पंजाब की पानी फेर दिया. वो जो प्रभु सिमरन को और जोश इंग्लिश को आउट किया था, वहीं से मैच पलट गया. मेरे हिसाब से वो क्लच मूवमेंट था जहां पर कुणाल पांड्या ने पूरा मैच छीन लिया, फैंस का दिल जीत लिया, आरसीबी को जश्न का मौका दे दिया.

पंजाब जिसने मुझे इनवाइट किया था, पंजाब जिसने बेशुमार प्यार दिया था और पंजाब जिसने साल जबरदस्त खेला, वो हार गया. पंजाब के लिए बुरा लग रहा है, लेकिन मैं पंजाब की हार पर आज दुखी नहीं हूं, क्योंकि पंजाब और आरसीबी दोनों बराबर की टीमें थीं, दोनों जबरदस्त खेल रही थीं. लेकिन आज मैं खुश इसलिए हूं कि विराट कोहली का सालों का सपना पूरा हो गया. वो जो विराट कोहली को मैंने रोते हुए देखा, मुझे समझ में आ रहा था कि यह ट्रॉफी सिर्फ एक कप प्लेट नहीं है जिसे आपने उठाकर दे दिया. 17 साल से वो आदमी हर साल आता था, हर साल मेहनत करता था और हर साल जीतने की कोशिश करता था.


विराट का समर्पण और जीत का जश्न

विराट कोहली ने कहा भी कि उसने आरसीबी को अपना बचपना दिया, आरसीबी को अपनी जवानी दी, अपना पीक दिया और अब पूरा एक्सपीरियंस दे रहा है. विराट ने कहा कि वो यहां पर इंपैक्ट प्लेयर के तौर पर कभी नहीं खेलेगा. विराट ने कहा कि वो यहां पर जीतने आया है. यह लम्हा जब उसकी आंखों में आया, चार बॉल बाकी थीं, आप उसकी हाथों में बेचैनी देखते, आंखों में आंसू देखते. और इसीलिए यह जीत खास है.

यह जीत विराट कोहली के लिए है, जिसने हर ट्रोल्स को बल्लेबाजी से हर साल जवाब दिया, जिसने हर बार हारने के बाद कोशिश की, हर बार जुनून दिखाया, हर बार हार के आंसुओं के बाद कोशिश की. यह जीत एबी डिविलियर्स के लिए है जिनके जादुई शॉट्स ने, जिन्होंने आरसीबी को अनगिनत मौके दिए, जिन्होंने 2016 में आरसीबी को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया था. यह जीत क्रिस गेल के लिए है. आज विराट कोहली ने कहा ना कि हम चाहते हैं कि एबी डिविलियर्स पोडियम पर आएं, क्योंकि जितना हम डिज़र्व करते हैं उतना वो भी डिज़र्व करते हैं.

यह जीत हर उस खिलाड़ी के लिए है जिसने आरसीबी की जर्सी को गर्व से पहना. यह जीत हर उस प्रशंसक के लिए है जिसने बीते 17 सालों में एक हारी हुई टीम का साथ नहीं छोड़ा. यह जीत हर उस व्यक्ति के लिए है जिसे आरसीबी में उम्मीद दिख रही थी और आरसीबी के लिए वो अलग-अलग स्टेडियम में तपस्या कर रहा था. यह जीत उन 11 खिलाड़ियों के लिए है जिन्होंने मैदान पर आज सब कुछ झोंक दिया. यह जीत उन करोड़ों फैंस के लिए है जिन्होंने 18 साल तक हर मजाक, हर हार, हर ट्रोल के बावजूद आरसीबी का साथ नहीं छोड़ा.

और अब 18 सालों के दर्द, 18 सालों की तपस्या, 18 सालों की उम्मीद आज मुकम्मल हो गई है. आरसीबी ने सिर्फ जंग नहीं जीती है, बल्कि पूरी लड़ाई को अपने नाम कर लिया है. आरसीबी ने आज ट्रॉफी उठाकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिख दिया है.


एक रात जो हमेशा याद रहेगी

आज इसीलिए मैं दावे से कह रहा हूं कि इस पल में, इस क्षण में, आज जितने खुश आप हैं, उससे कहीं ज्यादा खुश विराट कोहली होंगे. विराट कोहली जिन्होंने आज कहा कि मैं बच्चे की तरह आज सोऊंगा, सुकून की नींद, क्योंकि इस सुकून को पाने के लिए 18 साल का इंतजार हो गया. वो जर्सी पर जो 18 नंबर था, उसी साल किस्मत ने विराट कोहली के लिए एक नायाब तोहफा रखा था. उनके आंसुओं में आज वो 18 सालों का दर्द था, वो जुनून था, वो गर्व था. वो आंसू मजाक उड़ाने वालों के लिए नहीं बल्कि उनके मजाक का जवाब है. वो आंसू उस कलंक को धो रहे थे जो सालों से आरसीबी पर लगाया गया. अब कोई आरसीबी को कभी ट्रोल नहीं करेगा, अब कोई भी आरसीबी का कभी मजाक नहीं उड़ाएगा, क्योंकि आरसीबी ने इस साल इतिहास रच दिया है. आरसीबी ने ना सिर्फ ट्रॉफी जीती है, हर फैन का दिल जीता है जो इस लम्हे का 18 साल से इंतजार कर रहा था.

और इसीलिए आज स्टेडियम गूंज रहा है, सड़कें जश्न में डूबी हैं और आरसीबी का हर फैन सीना चौड़ा करके बैठा है. विराट कोहली के आंसू में वो कहानी है जो हर फैन की जुबान पर है और जो आज छाती चौड़ी कर कर कह रही है, "ई साला कप नाम दे!"


विराट: क्रिकेट के सम्राट

विराट कोहली, क्रिकेट का सम्राट, आरसीबी का गौरव. विराट, जिन्होंने आंसुओं के साथ ट्रॉफी उठाई, 18 सालों का इंतजार करने के बाद ट्रॉफी उठाई, जिन्होंने आरसीबी को जवानी, सुनहरा दौर और अनुभव समर्पित कर दिया. फाइनल में 43 रन, ये सिर्फ एक दिन की कहानी नहीं है. ये 43 रन बता रहे हैं कि ये सिर्फ एक दिन की कहानी नहीं है. विराट ने वनडे वर्ल्ड कप जीता था, टी20 जीता था, दो बार चैंपियंस ट्रॉफी जीती, अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता, टेस्ट में विराट नंबर वन बने और अब आईपीएल ट्रॉफी. सब कुछ विराट कोहली की जिंदगी में हो गया. हर बार विराट कोहली ने कोशिश की. 2011 में 35 रन बनाए, 2016 में 54 रन बनाए, इस बार भी 43 रन बनाए और फाइनल में फिर बताया कि वो जैसे भारत के लिए खेलते थे, वैसे ही आरसीबी के लिए खेले. जबरदस्त! और आज यह जीत उनके नाम है. ये आंसू जो थे विराट कोहली के, कलंक और आरसीबी के जख्मों पर थे. और विराट ने कहा कि बहुत मौके आए जब उन्हें लगा कि शायद छोड़ देना चाहिए, जाना चाहिए लेकिन आरसीबी को उन्होंने सब कुछ दिया. आज विराट जो कह रहे थे वो भावुक करने वाला था. आरसीबी खुश है, फैंस खुश हैं, और हम भी खुश हैं.


रजत पाटीदार: किस्मत का खेल

खुश हैं रजत पाटीदार के लिए. क्या किस्मत का खेल देखिए! 3 साल पहले एक लड़का रिप्लेसमेंट के तौर पर आता है, और आज आरसीबी के पहले कप्तान बनकर ट्रॉफी उठाता है. कमाल है ना! पाटीदार ने बदला ले लिया. आरसीबी ने ट्वीट किया कि "हमने वॉर जीत ली, हमने मैच भी जीता, वॉर भी जीत ली." पाटीदार, उफ क्या किस्मत है यार! मतलब किस्मत ने पाटीदार के लिए सब कुछ बचा के रखा था. डिविलियर्स का भावुक होना, दुनिया में तमाम लोगों का भावुक होना, यूके के पूर्व प्राइम मिनिस्टर का इंडिया आना और यह कहना कि "मुझे सपोर्ट करना", सब कुछ आज था. आज आरसीबी ने हर वो चीज पा ली जो उसे पाना था.

फिर मैं कह रहा हूं, एबी डिविलियर्स का आना यार. एबी डिविलियर्स सिर्फ रन, शॉट नहीं, एबी डिविलियर्स की विरासत है जो आरसीबी के दिल में. ब्रिटिश प्रधानमंत्री पूर्व ऋषि सुनक का आना यहां पर ये कहना कि "लेट्स गो आरसीबी", सारी दुनिया का ये कहना. मतलब आईआईटी जेईई एडवांस के टॉपर जो थे उनका ये कहना कि "हम विराट कोहली जीतना चाहते हैं." सब कुछ आज था. आज आरसीबी ने शायद वो सब कुछ हासिल कर लिया जो वो चाह रहे थे.


पंजाब की कोशिशें

हालांकि थोड़ा बुरा आपको शशांक सिंह के लिए लग सकता है. शशांक पिछले मैच में कैजुअल रन आउट हो गए थे और यह मैच फंस गया था. आज उन्होंने कोशिश की. आखिरी ओवर में 30 रन चाहिए थे, 20 रन शायद मार दिए उन्होंने, छह रन से मैच हारे. आज उनको नींद नहीं आएगी. शशांक 30 गेंदों पर 61 रन, क्या पारी थी यार! क्या खूबसूरत पारी थी! ये मैच मैं फिर कह रहा हूं, ये मैच पंजाब का हो गया था, हो गया था. प्रियांश और प्रभु सिमरन ने शुरुआत दिलाई थी. चार ओवर में 43 रन, सात-आठ ओवर में 72 रन और एक विकेट. उस वक्त यह लग रहा था कि 190 बहुत दूर नहीं है. अभी श्रेयस अय्यर हैं, निहाल वडेरा हैं, ये शायद जीता देंगे. बट आज सरपंच साहब (शायद जितेश शर्मा का जिक्र है) का दिन नहीं था. सरपंच साहब दो गेंदों पर एक रन बनाकर रोमारियो शेफर्ड की गेंद पर आउट हुए और जितेश शर्मा का जो कैच था शायद उसने मैच पलट दिया.

रोमारियो शेफर्ड, कुणाल पांड्या, मैं फिर कह रहा हूं नाम याद रखिएगा. कुणाल पांड्या ने मुंबई इंडियंस के लिए सालों साल किया था, इस बार फिर वो ट्रॉफी उठा रहे हैं और ये बड़ी ऐतिहासिक कहानी है क्योंकि वो दो विकेट, प्रभ सिमरन और खासतौर पर जोश इंग्लिश का, वो मैच चेंज करने वाला था. शशांक की कोशिशें नाकाम हो गईं. स्टइनिस भी अगर रह जाते तो शायद मैच पलट जाता, बट उनका भी आखिर में आउट होना हुआ.

आरसीबी खुश होगी. बहुत बड़ा कंट्रीब्यूशन तो किसी का नहीं था. छोटे-छोटे कंट्रीब्यूशन थे. हाईएस्ट रन गेटर वॉज विराट कोहली, बट थोड़े-थोड़े कंट्रीब्यूशन से भी कहते हैं ना कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है. 190 बने और भुवनेश्वर कुमार ने जो बाद में कहा कि हम जानते थे कि 190 चेज नहीं हो सकते, पिच थोड़ी टफ हो रही है और वो हुआ. चार ओवर, 38 रन भुवनेश्वर कुमार, कोई पीक नहीं गया साहब. अभी भी पीक जिंदा है. यश दयाल तीन ओवर, 18 रन. क्या कहानी है! फैसिनेटिंग यार. गुजरात टाइटंस में छह, पांच मारे गए थे और वहां से पिछले साल सीएसके को बाहर करना, इस साल आरसीबी को जीता देना. कमाली गेंदबाजी! हज़लवुड अपनी हिस्ट्री में कभी कोई मैच नहीं हारे फाइनल. क्या कमाल की कहानी है! कुणाल पांड्या चार ओवर, 17 रन, दो विकेट. क्या कमाल की कहानी है! सुयश शर्मा दो ओवर, 19 रन आज नहीं चले लेकिन पिछले मैच के हीरो थे और रोमारियो शेफर्ड एक विकेट लिया लेकिन वो कहते हैं ना कि एक घाव किया सबसे गहरा किया और उसी घाव ने पंजाब को तोड़ दिया क्योंकि सीधे शिकार जो था वो सरपंच थे.


भविष्य के लिए सबक

आज रात आरसीबियंस की रात है. आज रात आरसीबी के लिए जश्न की रात है और हम उन्हें मुबारकबाद दे रहे हैं. मुबारकबाद आरसीबियंस! आज आप खुलकर जी सकते हैं, खुलकर चिल्ला सकते हैं, खुलकर जश्न मना सकते हैं, क्योंकि आज आपने जो किया है वो आने वाली पीढ़ियों को आप बताएंगे कि हां, इस दिन क्या आप साक्षी थे जब आरसीबी ने इतिहास रचा था. और यह दिखाता है, सिखाता है कि जिंदगी में आप हार मत मानिए, हार मत मानिए. जिंदगी आपको मौका देगी, जिंदगी इंतजार करवाएगी लेकिन आपको वह देगी जो आप डिज़र्व करते हैं. और यह उनको मिल गया है 17 सालों बाद 18वें सीजन में.

"ईसाला कप नाम दो!" हमारी तरफ से आरसीबी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं. जश्न मनाइए और हमसे भी जुड़कर जाइए. लव यू गाइस एंड व्हाट अ मैच यार! एंड पंजाब, सुपर पंजाब, बेटर लक नेक्स्ट टाइम यार, नेक्स्ट ईयर हम साथ में जीतेंगे. सरपंच साहब आपने दिल जीता, शशांक आपने दिल जीता, निहाल वडेरा, प्रियांश आर्य, प्रभु सिमरन, आप सब ने दिल जीता. अगले साल ट्रॉफी भी जीतोगे.

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