ARREST Sharmistha?: Paigambar Attack | Prophet Muhammad | Operation Sindoor । News number 1

 ARREST Sharmistha?: Paigambar Attack क्या बोल दिया| Prophet Muhammad | Operation Sindoor


क्या आपने कभी सोचा है कि आपका एक ट्वीट, एक वीडियो, या एक गलत शब्द कितना बड़ा भूचाल ला सकता है? शर्मिष्ठा ने भी ऐसा नहीं सोचा था. एक आम सी लड़की जिसने सोशल मीडिया पर अपनी तीखी गाली-गलौज वाली जुबान से जब पाकिस्तान को ललकारना शुरू किया, तो उसे खूब सारे फॉलोअर्स मिले. लेकिन आज उसी जुबान के जाल में वो फंस गई है.

यह कहानी सिर्फ शर्मिष्ठा की नहीं है, बल्कि उस भारत की है जहाँ एक शब्द जंगल की आग की तरह फैल जाता है. यह उन सवालों की कहानी है कि बोलने की आजादी की रेखा कहाँ तक खींची जाए.

शर्मिष्ठा की चिंगारी पहले तो पाकिस्तान के खिलाफ खूब आग उगल रही थी. शर्मिष्ठा तीखा बोलती है, बेबाक बोलती है, बेलगाम बोलती है. लेकिन फिर चाहे जाने-अनजाने, चाहे गलतफहमी में, चाहे मुसलमानों से उसके अंदर भरी नफरत ने, या फिर सोशल मीडिया पर रीच बढ़ाने की लालसा में, उसने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी कर दी. वह विरोध पाकिस्तान का कर रही थी, लेकिन जब आदमी बोलता है तो कई बार बोलते-बोलते बोल जाता है, और जो बोल रहा था लोग वो भूल जाते हैं, लेकिन जो निकला उस पर भूचाल मच जाता है.


सोशल मीडिया पर बवाल

यही भूचाल सोशल मीडिया पर मचा. फिलहाल सोशल मीडिया पाकिस्तान को छोड़कर दो टुकड़ों में बंटा है. एक जो कह रहा है कि "अरेस्ट कर लीजिए इसे," और #ArrestSharmishtha हैशटैग चलाया जा रहा है. दूसरा वो जो कह रहा है "आई स्टैंड विद शर्मिष्ठा." कोई उसे राष्ट्रवादी शेरनी कह कर सलाम ठोक रहा है, तो कोई धर्म का अपमान करने वाली बताकर उसके लिए गंदी-गंदी गालियों का इस्तेमाल कर रहा है. कहीं "सर तन से जुदा" के खौफनाक नारे गूंज रहे हैं तो कहीं उसकी जान बचाने की गुहार लगाई जा रही है. दोनों तरफ से पुलिस को टैग किया जा रहा है. कोई कह रहा है कि भैया गिरफ्तार कर लो, तो कोई कह रहा है कि अगर इसको कुछ हो गया तो वो जो नेता इसके खिलाफ अनशन और बयान लिख रहे थे, उनके खिलाफ भी एक्शन हम लेंगे.


शर्मिष्ठा कौन है?

यह पूरा विवाद क्या है? यह मामला बड़ा संवेदनशील है और इसको समझने के लिए आपको शर्मिष्ठा को समझना पड़ेगा. शर्मिष्ठा कोई बहुत बड़ा नाम नहीं है, कोई सेलिब्रिटी नहीं है, कोई नेता नहीं है. एक आम सी भारतीय लड़की है जिसने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना शुरू किया. इंस्टाग्राम से लेकर ट्विटर पर उसने वीडियोज बना के डालना शुरू किया. जितना हमने देखा और समझा, एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली लड़की लगती है जिसकी जुबान खराब है, गाली-गलौज उसकी जुबान पर है, हर दूसरा शब्द गाली देना है. लेकिन चूंकि मसला पाकिस्तान का था, पाकिस्तान के सामने जब तीखी गाली वाले पोस्ट आने लगे तो वो पोस्ट वायरल होने लगे. अपने वीडियोज में इसने पाकिस्तान को औकात दिखाओ, पाकिस्तान के हीरो-हीरोइन पर निशाना साधना, बॉलीवुड के खामोश एक्टर्स पर निशाना साधना, और इन निशानों के जरिए इसे खूब सारे लाइक्स, रीट्वीट, फॉलोअर्स मिलने लगे.

लेकिन कहते हैं ना किसी चीज की भी अति खराब होती है, और यही लाइक, फॉलोअर, रीट्वीट की भूख ने उसे और बेलगाम कर दिया. हर रोज उसके वीडियोज आ रहे थे, लोग देख रहे थे, असहज हो रहे थे, लेकिन फिर भी रीट्वीट कर रहे थे क्योंकि पाकिस्तान के खिलाफ थे. इसलिए जो अगला वीडियो आ रहा था वो और ज्यादा आक्रामक, उसमें गालियां और ज्यादा, फॉलोअर्स का जोश और ज्यादा. और यही बेलगाम अंदाज उसे उस मोड़ पर ले आया जहां पर पाकिस्तान का विरोध करते-करते पैगंबर पर विरोध हो गया.


पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी

शर्मिष्ठा पाकिस्तान को लेकर लगातार पोस्ट कर रही थी. उसके ट्वीट, उसके वीडियोज में पाकिस्तान को आतंक का अड्डा, गटर, हिंदुस्तान का दुश्मन ये सारी बातें थीं. पाकिस्तान के नेताओं को कुत्ता कहना, वहां की जनता को गद्दार कहना, उसकी तीखी जुबान नेताओं तक सीमित नहीं थी. बॉलीवुड एक्टर्स पर निशाना साधना, पाकिस्तानी एक्ट्रेस हानिया आमिर के बारे में अपशब्दों का इस्तेमाल करना, गाली-गलौज करना, सलमान खान को पाकिस्तान परस्त कहना, और बहुत सारी बातें ऐसी-ऐसी बातें जिन शब्दों का इस्तेमाल हम नहीं कर सकते. और ये टिप्पणियां उसके फॉलोअर्स के बीच में जोश भर रही थीं, मजा आ रहा था क्योंकि पाकिस्तान पर जा रहा था. हालांकि उस वक्त भी कईयों का एहसास था कि जिस तरह से ये जा रही है, कहीं शायद फंस जाएगी. अशोभनीय भाषा धीरे-धीरे उसे विवाद की आग में झोंक गई और यह विवाद तब हुआ जब टिप्पणी पैगंबर मोहम्मद पर आई.

अब क्या उसने पैगंबर मोहम्मद का जानबूझकर अपमान किया, या सोशल मीडिया के गेम में फंसकर ज्यादा लाइक पाने के चक्कर में उस टीनएज लड़की ने जुबान से बोलने की आजादी जो मिली है उसकी पराकाष्ठा को पार कर दिया? हम सारे पहलू देख रहे हैं. सोशल मीडिया गेम बहुत खतरनाक होता है, आपको जब नंबर दिखते हैं तो आपका दिमाग खराब होता है, आप चाहते हैं कि और ऐसा वीडियो बनाएं जो और लोग शेयर करें और रीट्वीट करें. क्या उसके अंदर मुसलमानों को लेकर नफरत थी बचपन से? मुझे नहीं पता, मैं नहीं जानता उसे. मैं सारे सवालों को लेकर चल रहा हूं, लेकिन जो कुछ उसने कहा वो स्वीकार्य नहीं था.


माफी और उसके बाद

शर्मिष्ठा ने पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया और उसके बाद जो भारतीय इकट्ठा होकर पाकिस्तान से लड़ रहे थे वो दो खेमों में बंट गए. किसी ने उसे "रंड" कहना शुरू कर दिया, किसी ने काफिर कहा, किसी ने कहा मार दो, किसी ने "सर तन से जुदा" की बात की. सारी बातें सोशल मीडिया पर विवाद बढ़ा. शर्मिष्ठा को भी शायद एहसास हुआ कि अब मामला बढ़ गया है, ये सीरियस है, ये वो नहीं है जिसमें पहले लोग लिख रहे थे कि पाकिस्तान को गालियां क्यों दे रहे हो. शायद समझाया हो घर वालों ने और उसने लिखा कि "मैं माफी मांगती हूं, मेरा इरादा किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं था." लेकिन माफी आग बुझाने में नाकाम रही.

यह सोशल मीडिया लाइक्स की भूख थी या जानबूझकर की गई गलती या अंदर मुसलमानों को लेकर नफरत, ये हमें नहीं पता. लेकिन फिलहाल शर्मिष्ठा को लेकर हिंदुस्तान में दो पक्ष हो गए हैं, एक समर्थन में "आई स्टैंड विद शर्मिष्ठा," दूसरा विरोध में.


समर्थक और विरोधी

समर्थन वाले लोग वो हैं जो उसकी पाकिस्तानी विरोधी बातों को देशभक्ति का प्रतीक मानते हैं. उनके लिए शर्मिष्ठा एक नन्ही सिपाही है जो दुश्मन से अकेले लड़ रही थी. उसकी भाषा उन्हें खराब लगती है, गंदी लगती है, तीखी लगती है, लेकिन वो कहते हैं कि उसका दिल साफ है. वो कहते हैं कि उसे माफ कर देना चाहिए, अभी बच्ची है, टीनएजर लड़की है, गलती मान ली है, अब उसकी जान की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है. उसके पक्ष में वो लोग भी आए हैं जो हिंदुइज्म की बात कर रहे हैं, जो एंटी-पाकिस्तान बात कर रहे हैं. वो कह रहे हैं कि ठीक है, पाकिस्तान का वो विरोध कर रही थी, कहते-कहते जुबान से एक लाइन निकल गई, उसके लिए वो शर्मिंदा है, पर लड़की है, नई बच्ची है, इतना उसे मौका दो कि एक गलती सुधार सके.

लेकिन एक दूसरी संख्या भी है जो विरोध में है. शर्मिष्ठा के विरोधी उनकी पैगंबर मोहम्मद टिप्पणी को इस्लाम पर हमला मान रहे हैं. उसकी भाषा को गंदी, विषैली, नफरत फैलाने वाली बता रहे हैं. सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरों को अलग-अलग तरीके से एडिट करके ऐसे-ऐसे कैप्शन लगा रहे हैं जो हम नहीं बोल सकते. कई कट्टरपंथी ग्रुप्स ऐसे हैं जो उसे, उसके साथ गंदी हरकतें करने, "सर तन से जुदा" करने, हत्यारे बहुत सारी चीजें जो क्या-क्या कहें उस लेवल पे जा रहे हैं. सियासतदानों ने भी उसको लेकर टिप्पणियां की हैं, वारिस पठान जैसे नेताओं ने बयानबाजी की. हालांकि वारिस पठान को इसके बाद दूसरी पक्ष में भी धमकियां आईं कि आप एक बच्ची के खिलाफ जा रहे थे और अगर कुछ हो गया तो हम आपके खिलाफ भी जाएंगे. विरोधी खेमा उसकी माफी को नाटक बता रहा है. वो कह रहा है कि पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी जो है वो अक्षम्य अपराध है, सजा मिलनी चाहिए.

दोनों तरफ से फिलहाल लोग भड़के हुए हैं. जो एक तरफ ले रहा है उसे दूसरी तरफ से गालियां दी जा रही हैं. जो उसके साथ खड़ा है वो कह रहा है कि बच्ची है. कुछ ऐसे भी हैं जो कह रहे हैं इस मसले में नहीं पड़ना, उसकी जुबान खराब थी, ऐसे लोगों का साथ नहीं देना चाहिए. हां, उसकी जान पर नहीं आनी चाहिए.


नूपुर शर्मा विवाद से तुलना

यह पूरा मामला जो है वो नूपुर शर्मा विवाद की याद दिलाता है. उस वक्त भी देश-विदेश में हंगामा हो गया था. इसमें समानताएं भी हैं और अंतर भी हैं.

समानता यह है कि:

  • दोनों मामलों में पैगंबर मोहम्मद का जिक्र है.
  • सोशल मीडिया पर दोनों मामले बढ़े.
  • दोनों मामलों में हिंसक धमकी मिली.
  • दोनों मामलों में अभिव्यक्ति की आजादी का तर्क आया.

अंतर यह है कि:

  • नूपुर शर्मा एक पॉलिटिकल पार्टी की नेता थी, टीवी पर बात कर रही थी. शर्मिष्ठा एक आम लड़की है जिसका मंच सोशल मीडिया है.
  • नूपुर शर्मा का मामला इंटरनेशनल था, शर्मिष्ठा इंडिया-पाकिस्तान तक सीमित है.
  • इस मामले में बच्ची वाला एंगल भी आ रहा है.
  • नूपुर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई, शर्मिष्ठा के मामले में अब तक कोई ऐसी खबर नहीं है.

हालांकि इसमें एक सिमिलरिटी और भी है. नूपुर शर्मा वाले मामले में भी कहा गया था कि नूपुर शर्मा से पहले विरोध किया गया था, शिवलिंग का मजाक उड़ाया गया था, मुसलमान भी तो मजाक उड़ाते हैं - यह वाला तर्क दिया गया था और यह बहुत चला. अभी भी शर्मिष्ठा के मैटर में भी बार-बार यह बात आ रही है कि मुसलमानों ने भी तो गालियां दीं, भगवान का मजाक उड़ाया, शिवलिंग का मजाक उड़ाते हैं, कई सारे वीडियोज आते हैं. यह बात आ रही है. शर्मिष्ठा के समर्थक ये तर्क दे रहे हैं कि अगर शर्मिष्ठा ने पैगंबर का अपमान किया तो मुसलमान भी तो आए दिन हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाते हैं, तब इतना हंगामा क्यों नहीं?


कानून और आगे का रास्ता

इसका जवाब बहुत ही संवेदनशीलता से देना जरूरी है. देखो, एक बात तो यह है कि यार, दो गलती सही नहीं ठहरा सकते. आप किसी ने गलत किया उसके बदले कोई और गलत कर दे, क्या यह सही है? नहीं. हम उस दौर में जी रहे हैं जहां पर असदुद्दीन ओवैसी, उमर अब्दुल्लाह जैसे नेता जो हैं वो सामने आकर देश को एक मत रखकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. क्यों? क्योंकि ये सेंसिटिव टाइम है. हम पाकिस्तान से वॉर के जोन में, अभी वॉर खत्म नहीं हुई है. इस घटना या ऐसी घटनाएं जो होती हैं वो हमें बांट देती हैं. हमें आपको ये समझना पड़ेगा. तो अगर किसी ने पास्ट में किया था तो क्या प्रेजेंट में हमें अधिकार मिलता है? नहीं, किसी का गलत आपको गलत करने का अधिकार नहीं देता है. यह बात हमें समझनी पड़ेगी.

इस मामले का इसी वजह से गहरा असर है. भारत में धार्मिक तनाव पहले से बहुत गहरा रहा है. हिंदू-मुसलमान की बहुत कहानियां हैं, लोगों का गुस्सा तुरंत निकल आता है और ऐसी कंपैरिजन भी आग में घी डालने का होता है. अब सवाल यह है कि शर्मिष्ठा के साथ क्या हो? उसने कहा, लोग गुस्सा कर रहे हैं, समर्थन कर रहे हैं, माफी मांगी गई. इसके बाद क्या? दोनों पक्षों से हमारा कहना है: शर्मिष्ठा को जान से मारने की बातें पूरी तरह नाजायज हैं. कानूनी पहलू जो है उस पर हमें नजर डालनी चाहिए.

आईपीसी की धारा 295ए किसी भी धर्म के अपमान को अपराध मानती है, चाहे हिंदू देवी-देवताओं का अपमान हो या पैगंबर मोहम्मद का. दोनों पर कानून लागू होता है. और इसी के तहत अगर हिंदू देवी-देवताओं को कहा जा रहा है तो जाना चाहिए, अगर पैगंबर साहब को कहा जा रहा है तो भी जाना चाहिए.


क्या शर्मिष्ठा पर कार्रवाई हो सकती है?

अब सवाल है क्या शर्मिष्ठा पर कार्रवाई हो सकती है और अगर शर्मिष्ठा टीनएज है तो क्या होगा?

  • पहली कार्रवाई तो यही कि आईपीसी की धारा 295ए के तहत धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए 3 साल तक की सजा होती है.
  • सोशल मीडिया पर उत्तेजक कंटेंट के लिए भी कार्रवाई होती है. आईटी एक्ट के तहत हेट स्पीच की कार्रवाई अलग होती है. अगर हेट स्पीच में कार्रवाई आती है तो एफआईआर वहां भी होती है.

अब सवाल है कि क्या शर्मिष्ठा टीनएज है, जो कि लग रहा है. अगर नहीं है तो हमने आपको बता दिया क्या कार्रवाई हो सकती है. अगर शर्मिष्ठा नाबालिक है तो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट लागू हो सकता है, जिसमें सजा के बजाय सुधार पर जोर होता है. हालांकि, धारा 295ए जैसे गंभीर अपराधों में नाबालिग पर भी कार्रवाई होती है, लेकिन प्रक्रिया अलग होती है. उसकी उम्र को ध्यान में रखकर कोर्ट काउंसलिंग या कम सजा पर विचार कर सकता है.

सवाल है माफी मांगने को लेकर. शर्मिष्ठा ने माफी मांगी, कहा कि मैंने जानबूझकर किसी की भावनाएं आहत नहीं की, मेरी बात का गलत मतलब निकाला गया. सोशल मीडिया पर माफी को लेकर ही बवाल है. कुछ लोग विरोध में नाटक, बचने की कोशिश कह रहे हैं, जबकि समर्थक कह रहे हैं कि गलती हर इंसान से होती है, बच्ची है, माफ कर दीजिए. कानूनी तौर पर माफी जो है वो अपराध को खत्म नहीं करती. हालांकि, कोर्ट में अगर यह मामला जाता है तो यह उनके पक्ष में दलील देने के लिए हो सकता है.


भीड़ का गुस्सा और सोशल मीडिया का दबाव

अब सवाल है कि भीड़ का गुस्सा, सोशल मीडिया का गुस्सा क्या? तो भाई, कानून को फैसला करना चाहिए. भीड़ का गुस्सा या सोशल मीडिया का दबाव कानून की जगह नहीं ले सकता. शर्मिष्ठा को लेकर अगर मामला जाता है तो कोर्ट सबूतों के आधार पर फैसला करेगी. अगर लोग खुद कानून अपने हाथ में लेकर ऑन द स्पॉट फैसला करेंगे तो भारत में अराजकता फैलेगी, और दोनों तरफ ऐसे मामले आते हैं. हम लोगों को यह अधिकार नहीं दे सकते कि लोग फैसला करें. आपकी भावनाएं आहत हुईं, आप शिकायत कराइए. शिकायत पर कानून जो काम करना हो करेगा.

लेकिन सवाल यह भी है कि शर्मिष्ठा की भी जो फोटो बना रहे हैं उन पर भी कार्रवाई हो सकती है. ऐसे में आप अगर शर्मिष्ठा का विरोध करते-करते दायरे को पार कर रहे हैं और उसकी तस्वीरों को माफ़ कर रहे हैं या कोई प्राइवेसी का हनन कर रहे हैं तो आप पर भी कार्रवाई हो सकती है अगर उधर से भी शिकायत हुई तो. अगर आप शर्मिष्ठा के खिलाफ भड़का रहे हैं तो उस पर भी कार्रवाई हो सकती है अगर उसे कुछ हो जाता है. ऐसे में हमें लगता है कि संवेदनशीलता यही है कि शर्मिष्ठा की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, क्योंकि रेप, हत्या, सर तन से जुदा ये ना केवल अमानवीय है बल्कि अपराध है. सुरक्षा पुलिस को देनी चाहिए, तत्काल कदम उठाने चाहिए. इसके अलावा ऑनलाइन धमकी वालों की भी जांच होनी चाहिए, उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए. और शर्मिष्ठा पर अगर मामला बनता है तो कोर्ट के दायरे के तहत, चाहे वो टीनएज वाला मामला हो या एडल्ट के तौर पर, जैसा बनता है, उसका फैसला हमारे देश के कानून को करना चाहिए.



सबक और आगे की राह

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स को भी ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे हिंसक कंटेंट को हटाएं और कार्रवाई की जाए. यह प्रकरण हमें कई सबक देते हैं:

  1. बोलने की आजादी जिम्मेदारी के साथ: हमें अपनी बात कहने का हक है, लेकिन हमें भी समझना पड़ेगा कि शब्दों का असर होता है.
  2. सोशल मीडिया का समझदारी से इस्तेमाल: एक ट्वीट जो है अगर वो उत्तेजना पैदा करने वाला है, नफरत पैदा करने वाला है, तो उसकी रीच बढ़ जाती है. यह बड़ा निंजा टेक्निक होती है. आप किसी के खिलाफ गंदा लिख दीजिए, वो ट्वीट वायरल हो जाएगा, लाखों तक पहुंच जाएगा.
  3. भाषा का ध्यान रखें: कानून का रास्ता विवाद को धमकियों से नहीं, कानून की नजर में सुलझाएं.
  4. सबकी भावनाओं का सम्मान करें: भारत में हर धर्म की संवेदनाएं गहरी हैं. हम एक दूसरे का ख्याल रखेंगे तभी ख्याल रख पाएगा. अगर आप हमारे भगवान का मजाक उड़ाएंगे तो कोई आपके भगवान का मजाक उड़ाएगा. ऐसे में अपने-अपने भगवान को अगर हम सम्मान दें तो शायद सामने वाले भी नहीं करेंगे. मुझे पता है यह बातें बेईमानी है, ये सब बातें लोगों को सुनकर आनंद नहीं आता. लेकिन आप भी यह समझिएगा अगली बार किसी के भगवान को गाली देने से पहले कि जब आप दे रहे हैं तो पलट कर कोई आपको भी दे सकता है. तो अगर आपको अपने भगवान की चिंता है तो बेहतर आप किसी और के भगवान ईश्वर को गाली मत दें.

शर्मिष्ठा प्रकरण जो है वो एक सबक है, शब्दों की ताकत को हल्के में ना लें. उनकी पाकिस्तान विरोधी बातें देशभक्ति से भरी हो सकती थी, लेकिन उनकी फिसली जुबान या फिर जानबूझकर कही गई बात पैगंबर साहब पर ने ऐसे धार्मिक तनाव को जन्म दिया है जिसकी इस वक्त देश को जरूरत नहीं थी. इस वक्त देश को एक साथ पाकिस्तान से लड़ना था, जो देश कर भी रहा था, हिंदू-मुसलमान सारे नेता, पक्ष-विपक्ष सब एक साथ लड़ रहे थे. लेकिन इस घटना ने विवाद पैदा किया. उनकी माफी ने कुछ हद तक आग बुझाने की कोशिश की है लेकिन विरोधियों का गुस्सा, समर्थकों का जोश इसे भड़का रहा है. हिंसक धमकियां, गालियां भी उतनी ही ज्यादा गलत है. यह हमें तय करना है. हमें चाहिए कि ऐसा समाज जहां पर असहमति को तर्क से ना कि तलवार से सुलझाया जाए. शर्मिष्ठा की सुरक्षा जरूरी है और उनकी बात पर कानून को अपना काम करने देना चाहिए.

मैं आप सभी फॉलोअर्स से अपील करूंगा कि इस आग को बुझाएं, इसे भड़काए नहीं. अभी लड़ाई बड़ी है, एक लड़ाई चल रही है या कहें युद्ध चल रहा है. सीजफायर है लेकिन युद्ध चल रहा है. सरकार ने कहा युद्ध खत्म नहीं हुआ, सेना ने कहा युद्ध खत्म नहीं हुआ. हमें आपस में नहीं लड़ना पड़ेगा. अगर हम आपस में लड़ेंगे, अगर हम हिंदू-मुसलमान में लड़ेंगे तो जो हमारा असली दुश्मन है वो हम पर आप पर हंसेगा. बेहतर है हम अपने घर के मसले कानून से सुलझा लें और एक साथ होकर असली दुश्मन से लड़ें. आज वक्त की यही बात है और जुबान की ताकत को समझें क्योंकि कमान से निकला हुआ तीर और जुबान से निकली बात कितना गहरा असर करेगी ये उसे छोड़ने या बोलने वाले को नहीं पता रहता. उम्मीद है इस घटना से आप भी सबक लेंगे.


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