RAHUL GANDHI: के बयान पर बवाल बोला जय शंकर गद्दार है। NEWS NUMBER 1

RAHUL GANDHI: के बयान पर बवाल बोला जय शंकर गद्दार है। NEWS NUMBER 1

कभी-कभी मुझे समझ नहीं आता कि कांग्रेसियों की अंग्रेजी ज्यादा खराब है या उनकी नीयत। जी हां, कांग्रेस के नेताओं ने फिर से कुछ ऐसी बातें बोल दी हैं जिसे सुनकर पाकिस्तानी चैनल भांगड़ा डाल रहे हैं। पाकिस्तानियों को लग रहा है कि जो काम उनकी फट्टू फौज 3 दिन में नहीं कर पाई थी, वो कांग्रेसी नेताओं ने 3 मिनट में करके दिखाया है।

मतलब हर बार ऐसा क्यों होता है कि जब भी आप कुछ बोलते हो तो पूरा देश दूल्हे राजा के कादर खान की तरह आपसे यही पूछता है, "तू उसकी तरफ है कि मेरी तरफ है?" तो गाइज़ हुआ ये कि कुछ दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बॉस हमने पाकिस्तान में मौजूद जब नौ आतंकी ठिकानों का बाजा बजा डाला, उसके बाद हमने पाकिस्तान को हॉटलाइन पर बता दिया कि, "सुनो घनचक्रो, हमको जो करना था हमने कर दिया है। हमारे टारगेट पर पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने थे, हमारे टारगेट पर पाकिस्तानी मिलिट्री नहीं थी। हमारे पाकिस्तान स्टार्ट ऑफ़ द ऑपरेशन, वी हेड सेंट अ मैसेज टू पाकिस्तान सेइंग वी आर स्ट्राइकिंग एट टेररिस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, वी आर नॉट स्ट्राइकिंग एट द मिलिट्री।" अब जब जयशंकर साहब ने ये बात बोली तो राहुल जी और उनकी पूरी ब्रिगेड ने इस बात का ये मतलब निकाल दिया कि हमने आतंकी ठिकानों पर हमला करने से पहले ही पाकिस्तान को बता दिया था कि हम हमला करने वाले हैं। इतना ही नहीं, इन लोगों ने विदेश मंत्री को गद्दार तक बता दिया। राहुल गांधी अपनी ही गवर्नमेंट से पूछने लगे कि बताओ तुम पाकिस्तान को ऑपरेशन से पहले कैसे बता सकते हो? इसी वजह से तो पाकिस्तान ने हमारे एयरक्राफ्ट मार गिराए। बताओ पाकिस्तान ने हमारे कितने एयरक्राफ्ट गिराए अनुपम? सॉरी। खैर, इससे पहले मैं राहुल बाबा के इस बयान की और चीरफाड़ करूं और यह बताऊं कि क्यों वो बार-बार ऐसी गलती करते हैं और उनकी इन गलतियों से भारत को क्या नुकसान उठाना पड़ता है?


राहुल गांधी की "लू" वाली थ्योरी

तो दोस्तों, जब राहुल जी ने पहली बार ये कहा कि विदेश मंत्री हमले से पहले पाकिस्तान को इसकी जानकारी कैसे दे सकते हैं, तो ये सुनकर मेरे को लगा कहीं उन्हें लू तो नहीं लग गई है। क्योंकि गर्मी के मौसम में अक्सर ऐसा होता है कि आदमी गाड़ी के तेज एसी से अचानक जब बाहर निकलता है तो बाहर की गर्म हवा लग जाती है। इसके बाद हो सकता है कि उसके ऊपरी माले और उसके जुबान का कनेक्शन टूट जाए और वो ऐसी बातें बोलने लगे जिसे किसी नॉर्मल आदमी को समझ पाना मुश्किल हो। क्योंकि एक चौथी फेल आदमी भी इस बात को समझ सकता है कि किसी देश की आर्मी इतनी मूर्ख कैसे हो सकती है कि वो दुश्मन देश के आतंकी ठिकानों पर हमला करने से पहले उसे फोन करके बता दे कि हां भैया, हम कल रात 1:05 पर इन जगहों पर हमला करने वाले हैं। हम आपसे रिक्वेस्ट करते हैं कि आप अपने सारे टेररिस्ट को किसी अच्छे से रिसोर्ट में शिफ्ट करा दें क्योंकि हम नहीं चाहते कि ये मासूम हमारे हमले से मारे जाएं।

पूरी राहुल ब्रिगेड इस लाइन को पकड़ कर बैठ गई कि आपने हमले से पहले पाकिस्तान को क्यों बोल दिया कि हम हमला करने वाले हैं? लोगों ने इनकी पीठ सहला कर इन्हें शांत करने की कोशिश करी कि भाई थम जा, सुन तो ले पहले कि विदेश मंत्री ने क्या कहा है। लेकिन ना, मतलब पी चिदंबरम जैसे लोगों ने भी ये बोल दिया कि विदेश मंत्रालय की सफाई के बाद मुझे कोई सवाल नहीं पूछना है लेकिन राहुल बाबा अब भी शांत नहीं हो रहे। "मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स हैज़ गिवेन अ क्लेरिफिकेशन। आई हैव नो फदर कमेंट ऑन दैट।" मतलब मैं सच में हैरान हूं यार। और मैं कहता हूं ये सारी बातें छोड़ो, अगर राहुल बाबा या उनके चाहने वाले ये पोस्ट देख रहे हैं तो मैं उनसे बस एक सवाल पूछना चाहता हूं कि चाचा, अगर भारत सरकार ने आतंकी ठिकानों पर हमला करने से पहले पाकिस्तान को बता दिया था कि हम अटैक करने वाले हैं तो आतंकी मसूद अज़र का पूरा खानदान इस अटैक में कैसे मारा गया? क्या भारत के पहले से बता देने के बावजूद मसूद अज़र ने अपना पूरा खानदान वहां मरने के लिए छोड़ दिया था? और खबर तो यह भी है कि वो खुद भी वहीं था और बाल-बाल बचा है। इतना ही नहीं, जिस आतंकी ने डेनियल पर्ल को मारा था, वो आतंकी भी इस हमले में वो हो गया। क्या खुद राहुल जी बताएंगे? खत्म। तो क्या भारत के पहले जानकारी देने के बावजूद पाकिस्तान की फौज ने इन आतंकियों को वहां मरने के लिए छोड़ दिया था?

क्या राहुल जी या कांग्रेस पार्टी को ये नहीं पता कि पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के टाइम से ही झूठे दावे कर रहा है कि हमने भारत के पांच एयरक्राफ्ट गिरा दिए? भारत सरकार की तरफ से स्ट्रैटेजिकली इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया और हम जवाब देंगे भी क्यों? हमारा टारगेट था पाकिस्तान में आतंकी ठिकाने खत्म करना, उन्हें मारना। वो हमने मार दिया, खत्म कर दिया। और इस प्रोसेस में अगर कोई लॉस हुआ भी है तो उससे क्या लेना देना? ये तो वैसे ही है जैसे इंडिया-पाकिस्तान का मैच हो और पाकिस्तानी ये सोच कर खुश हो जाए कि हमने तो कोहली को सस्ते में आउट कर दिया। अरे चाचा, कोहली अकेला थोड़ी ना मैच खेलता है? सवाल ये है कि तुम मैच हारे या जीते? ऑपरेशन सिंदूर में हमने पाकिस्तान के टेररिस्ट ठिकानों की, वहां के एयरबेस की क्या हालत की, पूरी दुनिया को पता है। और हमारा इकलौता कंसर्न यही होना चाहिए कि टारगेट मीट किया या नहीं? क्या बाकी चीजें कोई मैटर करती है? क्या आप बताइए? लेकिन ये सवाल ना पूछकर जब आप सरकार से यह पूछते हो कि बताओ कितने एयरक्राफ्ट गिरे तो जाने-अनजाने आप वही बात बोल रहे हो जो पाकिस्तान बोल रहा है। और जब देश की विपक्षी पार्टी का सबसे बड़ा नेता वही बात बोलेगा तो पाकिस्तान को और क्या चाहिए? तभी तो पिछले तीन दिन से राहुल बाबा और पवन खेड़ा साहब पाकिस्तानी चैनलों पर छाए हुए हैं। "सौदा होता रहा, प्रधानमंत्री चुप रहे, विदेश मंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा।" और जब से ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ या उससे पहले भी पहलगाम हादसा हुआ, मुझे तो कांग्रेस पार्टी का स्टैंड ही समझ में नहीं आ रहा। मतलब ओवैसी जैसे नेताओं ने पूरे देश में अपना फैन बेस बना लिया है। हर विपक्षी पार्टी ने खुलकर ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ कर दी है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस पर खुलकर क्या बोला, मेरे को तो याद ही नहीं आ रहा है। उल्टा जब पहलगाम हुआ तो कांग्रेस के बड़े नेताओं ने तो ये भी बोल दिया था कि पाकिस्तान पर हमला नहीं करना चाहिए। एक नेता जी ये बोले, बाकी यूपी के कांग्रेस प्रभारी अजय राय टॉय रफाल लेकर सेना और सरकार का मजाक उड़ा रहे थे। इन्हीं की पार्टी के सैफुद्दीन सोस बोल रहे थे कि अगर पाकिस्तान कह रहा है कि उसका पहलगाम हादसे में कोई हाथ नहीं है तो अरे बाबू, उस पे यकीन कर लेना चाहिए हमको। नहीं, कुछ भी। पुलवामा हमले के बाद जब हमने बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की थी तब भी सेना और सरकार से सबूत मांगे जा रहे थे। यही राहुल गांधी जब विदेश जाते हैं तो यूएस और यूरोपियन यूनियन से शिकायत करते हैं कि भारत में लोकतंत्र ठीक नहीं चल रहा है। इन्हीं की पार्टी के मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान में जाकर बोलते हैं कि हमें मोदी को हटाना है और पाकिस्तानी इसमें हमारी मदद करें। "तुमसे ना हो पाएगा।" मतलब ऐसा क्या है यार? क्या ये सच नहीं है कि इन्हीं राहुल गांधी ने जुलाई 2009 में अमेरिका के राजदूत टिमोती रोमर को कहा था कि भारत को असली खतरा लश्कर तैबा से नहीं बल्कि हिंदुत्व आतंकवाद से है? और आप इमेजिन कीजिए कि ये बात उस वक्त कही गई थी जब सिर्फ 6 महीने पहले पाकिस्तान ने मुंबई में अटैक करवाया था। जब उसी डेकेड में संसद अटैक से लेकर दिल्ली और जयपुर के बाजारों में टेरर अटैक और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल ब्लास्ट पाकिस्तान के इस्लामिक आतंकवादियों ने करवाए थे। इसके बावजूद राहुल बाबा 2009 में ये बोल रहे थे कि देश को असली खतरा हिंदुत्व आतंकवाद से। अब इस पे क्या बोलना है?


कांग्रेस की डेलिगेशन और विवादास्पद नाम

मतलब ये लोग अब देश के विदेश मंत्री को गद्दार बोल रहे हैं और यह कोई पहली बार नहीं है कि राहुल बाबा ने यूं ही हवा में कोई बात बोल दी है। यह बात सच है कि राफेल डील में घोटाले को लेकर राहुल गांधी ने लगातार जो इल्जाम लगाए थे उसके लिए बाद में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी। वीर सावरकर को लेकर जो उन्होंने बयान दिए थे, कोर्ट ने उन्हें लताड़ भी लगाई। इसी तरह उन्होंने ये कहा था कि सरकार रेलवे का प्राइवेटाइजेशन कर रही है मगर बाद में पता लगा कि इस बात का भी कोई बेस नहीं था। लेकिन वो सब बातें फिर भी इंटरनल पॉलिटिक्स से जुड़ी है, ठीक है। लेकिन आज जब देश दुश्मन मुल्क के साथ एक वॉर में है, एक युद्ध में है, तब तो आप ऐसी बात मत करो ना जिससे दुश्मन को ये मौका मिल जाए। अब दूसरी बात देखिए जो अगेन बहुत सीरियस है। कुछ दिन पहले सेंट्रल गवर्नमेंट ने डिसाइड किया कि वो दुनिया के 33 देशों में अपना एक डेलीगेशन भेजेगी जिसमें अलग-अलग पार्टियों के सांसद होंगे। हर पार्टी से कुछ नाम मांगे गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि जो शशि थरूर इस वक्त विदेशी मामलों की पार्लियामेंट्री कमेटी के चीफ हैं, कांग्रेस ने उनका नाम ही नहीं दिया। और जो नाम दिए उसमें आधे नाम कंट्रोवर्शियल थे। जो चार नाम कांग्रेस ने दिए उनमें कर्नाटक से राज्यसभा सांसद नासिर हुसैन का नाम था। आपको बता दें कि यह भी आरोप है कि नासिर हुसैन जब सांसद बने तो उस वक्त उनके समर्थकों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे। हालांकि कांग्रेस इससे डिनाई करती है। "जिंदाबाद जिंदाबाद जिंदाबाद जिंदाबाद।" दूसरा नाम जो कांग्रेस ने प्रपोज किया वो गौरव गोगोई का है जो असम से आते हैं। लोकसभा में डेपुटी लीडर हैं। अब गौरव जी की बीवी से जुड़ा भी एक विवाद है, कहा जाता है कि उनकी वाइफ का पाकिस्तान से कनेक्शन है। अब आप सोचिए वो लोग जिनके जीतने पर कथित तौर पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे थे, जिनके कथित तौर पर पाकिस्तान से संबंध है, इन लोगों को उस डेलीगेशन में शामिल किया जा रहा था जिसे बाहर जाकर पाकिस्तान का भांडा फोड़ करना था। कितनी सीरियस बात है, समझ रहे हो आप? आज कांग्रेस के लोग बोल रहे हैं कि बीजेपी वालों के पास कोई नेता नहीं है जो वो शशि थरूर को इस डेलीगेशन का लीडर बना के ले जा रहे हैं। अरे चाचा, ये सवाल आपके लिए है। पहले आप बताओ जो शख्स यूएन में डेपुटी के पोस्ट पर रहा, जो आदमी आपकी सरकार में विदेश मंत्रालय में रहा, जिसने अपनी सारी जिंदगी फॉरेन सर्विस में दी है, क्या रीज़न है कि आपने जो चार नाम दिए उसमें उसी का नाम नहीं था? और तो और जिन सलमान खुर्शीद का नाम भी बीजेपी ने इस लिस्ट में डाला है जो कांग्रेस के टाइम विदेश मंत्री थे, उनका नाम भी इस लिस्ट में नहीं था। क्यों? और तो और मनीष तिवारी भी कांग्रेस सरकार में मंत्री थे, बड़े वकील हैं, अभी सांसद भी हैं, उनका नाम भी बीजेपी ने दिया, कांग्रेस ने नहीं। "ऑल आई कैन से इज आई डोंट ऑनेस्टली सी द नीड फॉर मच ऑफ़ दिस कॉंवर्सी बट ऑन वन इशू वी आर ऑल इंडियंस एंड एट दिस टाइम एट द टाइम ऑफ़ कॉन्फ्लिक्ट आई स्पोक एस एन इंडियन।" मतलब जिस-जिस कांग्रेसी नेता में स्पार्क था उसका नाम बीजेपी आगे कर रही है, कांग्रेस नहीं। अब आप खुद अंदाजा लगाइए इसके पीछे क्या सोच हो सकती है। मैं फिर से अंडरलाइन कर दूंगा, हमें किसी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। आप फोड़ो एक दूसरे का सर, खूब लड़ो, समाप्त कर दो एक दूसरे को। लेकिन जब बात देश की आती है, कंट्री की होती है, भारत की होती है, तब तो पता होना चाहिए ना कि क्या स्टैंड लेना है, क्या बोलना है, क्या नहीं बोलना है, कौन सा सवाल पूछना है और आपके किन सवालों से आपका देश शर्मिंदा हो जाएगा? इतनी बेसिक सेंस तो पार्टियों को होनी चाहिए। लेकिन जब अपने ही विदेश मंत्री को गद्दार बोला जाएगा, उनके दिए गए स्टेटमेंट्स को समझ नहीं पाओगे आप लोग और उसके बाद आपके बयान दुश्मन देश में वायरल हो जाए तो आपको खुद सोचना चाहिए कि आप किस तरह की पॉलिटिक्स कर रहे हो ब्रो।


भारत की सुरक्षा और विपक्ष की भूमिका

और इन नेताओं को ये क्यों समझ में नहीं आता है कि भाई भारत पहले ही चारों तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है? एक तरफ बांग्लादेश और पाकिस्तान है जो अपनी जिहादी सोच की वजह से हमसे चिढ़ते हैं। एक तरफ टर्की है जो इस्लामिक दुनिया का खलीफा बनना चाहता है। एक तरफ चीन है जो किसी भी कीमत पर हमें आगे बढ़ते नहीं देखना चाहता। एक तरफ अमेरिका है जिसे सिर्फ धंधे से मतलब है। एक तरफ मिडिल ईस्ट के इस्लामिक देश हैं जिनका झुकाव किसी तरफ नहीं है। ऐसे में भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी भी अगर अपनी गवर्नमेंट को घेरेगी, अपनी फोर्सेस को घेरेगी, वो भी ऐसे मुद्दे पर जो मुद्दा ही नहीं है तो इससे देश और कमजोर होता है बॉस। हमारे दुश्मनों के हौसले और बुलंद होंगे। इतनी सिंपल सी बात समझने में क्या दिक्कत है ये बताओ। बाकी आप लोग बताइए दोस्तों, इस तरह की पॉलिटिक्स पर आपका क्या मानना है? क्या ऐसे स्टेटमेंट देने वाले नेताओं की जुबान फिसल जाती है या फिर ऐसे बयान वो जानबूझ कर देते हैं? जो भी हो, आपकी ओपिनियन जो भी हो, आपकी राय कमेंट करके जरूर बताएं। पोस्ट सही लगी हो तो इसे अपने दोस्तों से भी जरूर शेयर करना।

और अपना ख्याल रखिए, जय हिंद, वंदे मातरम।


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