PM Modi: पाक साफ पाकिस्तान में डर का माहौल
दोस्तों जब से पहलगाम अटैक हुआ है कुछ लोग बदले की कारवाही को लेकर ज्यादा ही बेचैन हो रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत बदला लेगा मगर रिवेंज को लेकर जमीन पर ऐसे पैर पटक रहे हैं कुछ लोग जैसे बाजार में फेवरेट टॉय ना दिलाने पर चार साल का बच्चा रोने लगता है। बदले की कार्यवाही जो है ना वो कोई फूड ऐप से ऑर्डर किया फूड पार्सल तो है नहीं जो आप फोन करके भैया को डांटने लगो कि क्या भैया आधा घंटा हो गया अभी तक मेरा ऑर्डर लेकर आए नहीं। बाबू ये वॉर है, ये वॉर देशों को तोड़ भी सकती है, महान भी बना सकती है।
वैसे भी भारत सरकार ने अपनी तरफ से बदला लेना शुरू कर दिया है। मिलिट्री एक्शन तो होगा ही। उस फ्रंट पर क्या चल रहा है वो भी मैं आपको बताऊंगा। पहले आप वाटर वॉर का खेल तो समझो। कल ही तस्वीरें आई हैं कि किस तरह बगलियाहा डैम पर पाकिस्तान जाने वाला झेलम का पानी रोक दिया गया है। लोकल लोगों का कहना है कि उन्होंने 70 सालों में पहली बार झेलम को इस तरह सूखा देखा है। सारा मुल्क थर्रा जाएगा। अभी पानी का मसला है सारा पानी का ही।
चिनाब रिवर पर बने सलाल डैम से भी पानी रोक दिया गया है। सोचिए जरा, ये पानी जो पाकिस्तान जाने वाला था अब नहीं जाएगा। और बात सिर्फ इतनी नहीं है। अब भारत को जब लगेगा पानी छोड़ना है, भारत छोड़ भी देगा। मतलब ट्रीटी सस्पेंड हो चुकी है। इसलिए भारत पानी कब रोक रहा है, कब छोड़ रहा है, इसकी कोई इनफॉर्मेशन पाकिस्तान से शेयर नहीं की जाएगी। एक साथ पानी रोक कर रखने में उसमें रेत और मिट्टी सब मिल जाते हैं। अब जैसे ही ये पानी एक साथ पाकिस्तान में छोड़ा जाएगा वहां बाढ़ आ सकती है। इस मिट्टी और रेत मिले पानी से 70 सालों से जो कीचड़ जमा है वो एक साथ पाकिस्तान में गया तो वहां की फसलें भी बर्बाद हो सकती हैं।
मतलब सिर्फ पानी रोकने से भारत जब चाहे पाकिस्तान की गर्दन मरोड़ सकता है और वो बिखरते मुल्क के पास सिवाय फड़फड़ाने के कोई ऑप्शन भी नहीं है। वो सिर्फ खड़े-खड़े अपनी बर्बादी का तमाशा देख सकता है। बस। देयर इज नो अदर सोर्स। अगर इंडिया chooses to control this water, then provinces, districts, villages, and the country as a whole could be severely affected.
इसलिए मैंने कहा वॉर का मतलब बम और मिसाइल दागना नहीं होता। आप अपनी तरफ से बिना एक ढेला खर्च किए भी सामने वाले को बर्बाद कर सकते हो।
अब आते हैं मिलिट्री एक्शन पे। तो किसने कहा कि वो शुरू नहीं हुआ है? भारत से टेंशन के बाद पाकिस्तानी फौज सुबह शाम गोलीबारी कर रही है। हिंदुस्तान उसका जवाब भी दे रहा है। हमारे प्लेन एलओसी के पास उड़ान भर रहे हैं। यहां गंगा एक्सप्रेसवे पर राफेल लैंडिंग कर रहा है, उधर अरब सागर में भारत के युद्धपोत पाकिस्तान को घेर रहे हैं। सुबह शाम पाकिस्तान को ये भी डर लगा हुआ है कि भारत कभी भी उसकी लंका लगा सकता है। ये सब वॉर का ही पार्ट है दोस्तों।
पाकिस्तान की किस्मत कितनी खराब है वो जल्दी हम सबको पता लगेगा।
फिलहाल आगे बढ़ते हैं। रिपोर्ट्स ये बता रही हैं दोस्तों कि इस कंगाल मुल्क पाकिस्तान के पास इतना भी पैसा नहीं है कि वो भारत से एक हफ्ता भी लड़ पाए। इसलिए इसे महीना भर सिर्फ बॉर्डर पर भी उलझा कर रखा गया। उसके फाइटर प्लेन युद्ध की रिहर्सल में सिर्फ उड़ानें ही भरते रहते। इसकी आर्मी ईस्टर्न बॉर्डर से वेस्टर्न बॉर्डर पर यहां से वहां होती रही। तो इतने में ही इस पंचर देश की ट्यूब फट जानी है। बिना युद्ध लड़े, बिना किसी वॉर के ही इसकी फौज सरेंडर कर देगी।
भारत के हमले के डर से पाकिस्तान ने लाहौर कराची के एयर स्पेस में उड़ानें बंद कर दी हैं। हाफिज सईद जैसे चूहों को बिल में छिपा दिया है। पीओके के लोगों को बोला है कि महीने भर का राशन खरीद कर रख लो। इसी राशन के लिए भी पीओके में ममारी मच रही है। एलओसी के एरियाज के जितने भी ट्यूब हैं उन पे जा रहा है इस वक्त। इस वक्त तक हम एक में मांग का जो स्टॉक है वह गलत कर चुके हैं।
इस तरह जब आप दुश्मन को इस बात में उलझा कर रखते हो कि कब युद्ध होगा, कहां होगा, तो इससे दुश्मन की फौजें भी दिमागी तौर पर टूटने लगती हैं। किसी भी वॉर में सबसे मुश्किल पार्ट होता है बैठकर वॉर शुरू होने का इंतजार करना। और भारत वही गेम अब पाकिस्तान के साथ खेल रहा है।
भारत को अच्छे से पता है कि इस वेटिंग गेम में पाकिस्तान की आर्मी जरूर पैनिक करेगी। और जैसे ही उसने पैनिक में कुछ उल्टा-सीधा किया, तो फिर भारत को उसे अच्छे से पेलने का लाइसेंस भी मिल जाएगा। इसलिए जिन भी लोगों को ये लग रहा है कि भारत वॉर स्टार्ट क्यों नहीं कर रहा है, उन लोगों को समझाओ कि भैया युद्ध की टाइमिंग भी किसी भी युद्ध के साइकोलॉजिकल वॉर गेम का बड़ा पार्ट होती है। और भारत अभी पाकिस्तानी फौज के साथ वही गेम खेल रहा है।
मगर भारत में ही कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता राफेल का खिलौना दिखाकर हमारी फौज की बेइज्जती कर रहे हैं। बोल रहे हैं कि क्या हमने इसे नींबू मिर्ची लगाने के लिए खरीदा था? अब राफेल ले आए नींबू मिर्ची बांधकर खड़ी किए हुए हैं। ये किस जो लाए हैं उसका उपयोग कब होगा? तब कब आतंकवादियों का सफाया होगा? कब आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले लोगों को सफाया करेंगे?
और जैसे कि मैंने कहा ऐसे लोग जो पाकिस्तान पर हमला ना करने को लेकर सरकार को कोस रहे हैं, दरअसल ये सरकार को नहीं, अपनी आर्मी को टारगेट कर रहे हैं। अरे भैया, मोदी जी ने तो फ्री हैंड दिया ही है सेना को। अगर उससे पहले वक्त लग रहा है, टाइम ले रही है हमारी सेना, तो जाहिर है कि इसके पीछे कोई स्ट्रेटेजी होगी।
क्या आपकी आर्मी कुछ चवन्नी छाप नेताओं का मुंह बंद करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये बता दे कि अभी हम पाकिस्तान के इस वाले हिस्से पर अटैक करने वाले हैं? फौज तो ऐसा नहीं करेगी ना! और ऐसे एक दो नहीं कई नेता लोग हैं जो सुबह शाम बस इस बात की डुगडुगी बजा रहे हैं कि हम पाकिस्तान पर अटैक क्यों नहीं कर रहे? हद है यार नासमझी की। तुमसे ना हो पाएगा।
ये बात हम सबको पता है कि भारतीय फौज के सामने पाकिस्तान की कोई औकात नहीं है। लेकिन पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का वॉर शुरू करने से पहले भारत ये भी देख लेना चाहता है कि दुनिया के बड़े-बड़े देश कहां खड़े हैं, खासतौर पर यूएस।
भारत इतने दिनों से यूएस को अच्छे से समझाने में कामयाब हो गया है कि पहलगाम में जो हुआ इसके पीछे पाकिस्तानी फौज का हाथ है। तभी आप देखिए यूएस के डिफेंस सेक्रेटरी ने भारत को खुलकर समर्थन किया है। पहलगाम अटैक के बाद यूएस ने वही बोला है जो 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद इजराइल को लेकर बोला था। यूएस ने तब भी यही कहा था: "We support Israel’s right to self-defense"। पहलगाम हमले के बाद भी यूएस यही बोल रहा है: "We support India's right to self-defense"।
इन सारे बयानों के अलावा यूएस के वाइस प्रेसिडेंट के स्टेटमेंट ने तो एक तरह से पाकिस्तान की पैंट ही गीली कर दी है। उन्होंने कहा है कि भारत कोई भी मिलिट्री एक्शन लेते वक्त ये ख्याल रखे कि ये युद्ध पूरे रीजन में ना फैल जाए। लोगों का कहना है कि इससे इतना तो क्लियर है कि यूएस मानता है कि जो किया है वो पाकिस्तान ने किया है। साथ ही यूएस इंडिया के मिलिट्री एक्शन को भी ठीक मान रहा है। वो बस ये बोल रहा है कि ख्याल रखना भाई, लफड़ा ज्यादा ना बढ़ जाए।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस हमले के बाद यूएस का पाकिस्तान की इन्वॉल्वमेंट को एक्सेप्ट करना और भारत को ग्रीन सिग्नल देने का मतलब है कि वो पूरी तरह भारत के साथ है। और ये अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है क्योंकि यूएस आज की तारीख में दुनिया की सबसे बड़ी मिलिट्री पावर है।
अगर यूएस ये सिग्नल देता है कि हम भारत के साथ हैं, तो फिर चाइना और टर्की जैसे देशों की हिम्मत नहीं है कि वो बीच में आएं। बात ये है कि अगर भारत के पास यूएस का अश्योरेंस ना हो और इस बीच चाइना भी हमारे ईस्टर्न बॉर्डर पर बदमाशी शुरू कर दे, और वहां पिद्दी बांग्लादेश भी नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट में अपनी औकात दिखा दे, तो भारत के लिए तीन फ्रंट पर लड़ना मुश्किल हो सकता है।
अब कुछ लोग ये सारी कैलकुलेशन नहीं करते, उन्हें सिर्फ सोशल मीडिया पर अपनी उंगलियां या मुंह चलाकर बकलोली करनी होती है।
**मुंह चलाकर बकलोली करनी होगी अब भारत**
सरकार अगर ये कह दे कि हम पाकिस्तान पर हमला करेंगे तो कर्नाटक में एक नेता जी बोलते हैं कि हमें पाकिस्तान पर हमला नहीं करना चाहिए। जब हमला करने से पहले हम टाइम ले रहे हैं तो इसी कांग्रेस के कुछ नेता लोग बोल रहे हैं कि इतना टाइम क्यों ले रहे हो? राफेल क्या नींबू मिर्ची लटकाने के लिए खरीदे थे? मतलब इन लोगों को हर हाल में पॉलिटिक्स करनी है लेकिन आप लोग इनके बहकावे में मत आइए। पाकिस्तान का पक्का इलाज होगा, तैयारियां चल रही हैं। अब बस चुपचाप जो पाकिस्तान में चल रहा है ना वहां उसके मजे लीजिए। और इस पूरे मैटर को अगर आप अच्छे से समझना चाहते हो तो लेफ्टिनेंट जनरल डी पांडे सर के साथ एक जबरदस्त पॉडकास्ट हमने किया है। लिंक डिस्क्रिप्शन में दिया है, देखिए बहुत क्लैरिटी आएगी आपको।
तो फिलहाल वीडियो में आगे बढ़ते हैं। दो दिन पहले एक खबर आई थी दोस्तों कि पाकिस्तानी जेल में पाकिस्तान के फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर के साथ पाकिस्तानी फौज के किसी मेजर ने गलत काम कर दिया। मतलब जब मैंने ये खबर पढ़ी तो मुझे इसको तीन बार पढ़ना पड़ा। बोला ये कैसा देश है यार! जो आदमी चार-पांच साल पहले देश का प्रधानमंत्री था, किसी ने पाकिस्तानी जेल में उसी की डबली बजा दी। मैं ये बोल भी रहा हूं तो मेरे को शर्म आ रही है। सोचिए मतलब पाकिस्तानी फौजियों को हमला तो भारत पर करना था, अपने एक्स पीएम पे नहीं।
पर देखो, आज समझ में आया कि इमरान साहब लगातार क्यों ये कह रहे थे कि पाकिस्तानी फौज मेरे पीछे पड़ी हुई है। सही में पीछे ही पड़ी थी। नहीं, आर यू कॉमेडी मी?
अगर आपको ये लग रहा है कि ये मुल्क यानी पाकिस्तान इससे ज्यादा नीचे नहीं गिर सकता तो ये सुन लो—भारत-पाकिस्तान वाले मैटर पे बात करते हुए एक पाकिस्तानी जर्नलिस्ट टीवी पर ये पूछ रहा है कि अगर पाकिस्तान जीत गया तो क्या हम इंडियन एक्ट्रेसेस को अपने यहां स्लेव बना सकते हैं? सवाल पूछूं कि अगर हम इंडियन एक्टर से हैं, हमारी लौंडिया बनके आती हैं तो हमें इजाजत है लौंडी बनाने की कि नहीं है इजाजत? आप सोचिए किसी मुल्क का जर्नलिस्ट अगर टीवी पर ऐसी बातें बोल रहा है तो प्राइवेट में वो लोग क्या कुछ नहीं बोलते होंगे।
मैं कहता हूं, आप वॉर की बात कर रहे हो तो हारजीत को डिस्कस कर लो, फॉरेन पॉलिसी को डिस्कस कर लो, पर आप क्या पूछ रहे हो कि हम जीत गए तो दुश्मन देश की एक्ट्रेस को गलत काम करने के लिए गुलाम बना सकते हैं? इसलिए अगर इस कौम के लिए ये कहा जाता है कि आज भी इसकी सोच 1000 साल पुरानी है तो इसमें कोई चीज गलत नहीं है।
और बेशर्मी का सिलसिला यहीं पर खत्म नहीं होता। पाकिस्तान के एक और सीनियर जर्नलिस्ट हैं नजम सेठी साहब। ये पीसीबी के चेयरमैन भी रहे हैं। हिंदुस्तान में बहुत सारे लोग इन्हें समझदार भी समझते थे। ये बोल रहे हैं कि अगर पाकिस्तान को अपनी फॉरेन डिप्लोमेसी इंप्रूव करनी है तो उन्हें ऐसी औरतों को डिप्लोमेट बनाना चाहिए जो बाहर जाकर गोरों के साथ शराब पी पाए। मतलब ये वो लोग हैं जो दीन की बात करते हैं और इनकी नजर में औरतों की इज्जत क्या है आप इनकी बातों से सुन लीजिए।
"यू नीड टू नो द लिंगो, द कल्चर, हाउ टू रीच अक्रॉस, समटाइम्स यू टू सिट इन अ पब एंड टॉक अबाउट दी..."
एक जर्नलिस्ट दूसरे मुल्क की औरत पर बुरी नजर डाल कर बैठा है और दूसरा जर्नलिस्ट अपने मुल्क की औरतों को फॉरेन डिप्लोमेसी में एक टूल की तरह इस्तेमाल करना चाह रहा है।
और तो और, जो लोग पाकिस्तानी पॉलिटिक्स से वाकिफ हैं, आप उनसे पूछिएगा, वो आपको बताएंगे कि यही पाकिस्तानी फौज इमरान खान की पार्टी के समर्थकों को यह धमकी भी देती है कि अगर तुमने फौज के खिलाफ कुछ गलत बोला तो हम तुम्हारी औरतों के साथ गलत काम करेंगे। मतलब औरत औरत और सिर्फ औरत इनके दिमाग में घूमती है फिर चाहे वो कहीं की भी औरत हो।
इसलिए ये मुल्क आज वहां पहुंच गया है जहां आज ये है। इसीलिए ये मुल्क इंटरनेशनल बेगर बन के हर किसी के आगे हाथ फैलाता है, भीख मांगता है। और इसके बावजूद अकड़ देखो इनकी। हम सुपीरियर कौम हैं, मुसलमान हिंदुओं से बेहतर हैं। मतलब आटा खरीदने की इनकी औकात नहीं और बातें इतनी बड़ी-बड़ी।
'48 में मौका मिला, '65 और '71 की जंग में मौका मिला। '99 में भी एलओसी क्रॉस कर सकते थे। हम चाहते तो संसद हमले के बाद भी इन्हें पेल सकते थे। लेकिन अब इनकी सारी लाइफ लाइन खत्म हो चुकी है। तुम अमेरिका को फ़ोन फ्रेंड की अपनी आखिरी लाइफ लाइन भी यूज़ कर चुके हो और हां, वो भी तुम्हारा फोन उठा नहीं रहा है। तुम सही जवाब के लिए उस टर्की की तरफ देख रहे हो जो खुद चौथी फेल है। इसलिए अब तुम्हारे पास गेम क्विट करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। तुमको खेल भी छोड़ना होगा और हो सकता है अपना देश हो।
इसलिए बस इंतजार करो। ये जो तुमने गौरी-फौरी नाम की मिसाइलें बना रखी हैं ना, उन सारी मिसाइलों को यूज़ करके तुम्हारा मोर ना बनाया ना इंडियन आर्मी ने।
लेकिन मैं भारतीय जनता से अपील करना चाहता हूं दोस्तों—**फेथ और पेशेंस रखिए हमारी फौज पर**। क्योंकि काम जितना बड़ा होता है, उसकी तैयारी भी उतनी ही बड़ी होती है। बस उसी तैयारी में लगी है हमारी आर्मी।
इसलिए अपनी फौज के लिए कमेंट बॉक्स में कुछ अच्छा जरूर लिखना क्योंकि वो फौजी जो अपनी फैमिली से दूर आपकी और हमारी रक्षा के लिए खड़ा है, आपके लिखे कुछ शब्द उसका हौसला बढ़ाएंगे।
इसलिए प्लीज उनके लिए कुछ जरूर लिखना जल्दी मिलते हैं, अपना ख्याल रखिए।
1. **बदले की भावना पर व्यंग्य**: कुछ लोग युद्ध और बदले की कार्रवाई को बहुत जल्दबाजी में चाहते हैं, जबकि इसका निर्णय रणनीतिक रूप से लिया जाता है।
2. **जल युद्ध (Water War)**: भारत ने झेलम और चिनाब नदियों का पानी रोक कर पाकिस्तान पर दबाव बनाना शुरू किया है, जो 1960 की सिंधु जल संधि से जुड़ा मामला है।
3. **मिलिट्री एक्शन की रणनीति**: भारत ने सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन वो ओपन वॉर की बजाय दबाव बनाने और रणनीतिक रूप से पाकिस्तान को घेरने की नीति अपना रहा है।
4. **मनोवैज्ञानिक युद्ध (Psychological Warfare)**: पाकिस्तान को इस अनिश्चितता में रखा जा रहा है कि हमला कब और कैसे होगा, जिससे उसकी सेना मानसिक रूप से कमजोर पड़े।
5. **राजनीतिक आलोचना पर कटाक्ष**: विपक्षी नेताओं द्वारा सेना और सरकार की आलोचना को राष्ट्रविरोधी मानसिकता के रूप में पेश किया गया है।
6. **अंतर्राष्ट्रीय समर्थन**: अमेरिका ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन दिया है, और यह भारत की रणनीति के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में दिखाया गया है।
7. **चीन और बांग्लादेश का संदर्भ**: भारत तीन मोर्चों पर युद्ध की संभावना को लेकर सतर्क है, इसलिए अमेरिका का समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण है।